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Akhand Jyoti
Year 1995
Version 2
अपनों से...
अपनों से अपनी बात-वसंतपर्व पर विशेष - राष्ट्र के पुनर्गठन का संदेश लेकर आया है प्रस्तुत वसंत
February 1995
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Page Titles
सफलता के मणिमुक्तक पाएँ तो कैसे?
चार दिन का ज्वर है, यह सौंदर्य
Quotation
एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति
अंतर्जगत का देवासुर संग्राम
अंतःचक्षु (Kahani)
आत्म देवता की साधना से बनते हैं हम देवमानव
राष्ट्र का प्रहरी होता है, साहित्यकार
जगज्जननी-आद्यशक्ति-सजलश्रद्धा को समर्पण
शिव और शक्ति के समन्वय का अद्भुत वह लीला संदोह
इस विराट गायत्री परिवार का पौधा रोपा गया था,गृहस्थी रूपी तपोवन में।
Quotation
माता का संदेश (Kavita)
मानवता का मसीहा (Kavita)
आत्मीयता, ममता करुणा, यही थी उनकी उपासना
आशीर्वाद लुटाने वाली माता जी (Kahani)
“नारी जाग्रति अभियान” का विशाल वटवृक्ष जिनके संरक्षण में फला-फूला
Quotation
मातृसत्ता के संस्मरणों के कुछ पुष्प
साक्षात अन्नपूर्णा ही तो थीं वे
अभिव्यक्तियाँ, बहुरंगी स्मृतियाँ
Quotation
कुछ बहुमूल्य पल अंतरंग गोष्ठी के
और कुछ नहीं चाहिये
और कुछ नहीं चाहिये (Kavita)
कुछ अनुभूतियाँ, जो अब हमारी अनमोल धरती हैं
शक्तिस्वरूपा माँ भगवती (Kahani)
ममता की मूरतः जगजननी
ममता की मूरतः जगजननी(Kavita)
तुम तो बस ‘माँ’ हो
तुम तो बस ‘माँ’ हो(Kavita)
मातृवाणी - विशिष्ट वसंत पंचमी व्याख्यान (1989)
अपनों से अपनी बात-वसंतपर्व पर विशेष - राष्ट्र के पुनर्गठन का संदेश लेकर आया है प्रस्तुत वसंत
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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