आशीर्वाद लुटाने वाली माता जी (Kahani)

February 1995

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गेटबिक एयरपोर्ट (लंदन) में माताजी का विदाई समारोह था। माताजी बैटरी चलित गाड़ी में बैठकर अंदर गईं। बाहर 500 परिजन खड़े देख रहे थे। माता जी गाड़ी में बैठी हुई थीं। चैकिंग के लिए ब्रिटिश महिला कैथेरीन आईं। सिर से लेकर पैर तक स्पर्श किया-कहीं कुछ है तो नहीं।

माताजी प्रसन्न थीं परिजनों की ओर पीछे उनका चेहरा था। परिजनों की ओर देखकर कैथेरीन की ओर इशारा किया। हमारे पास कुछ नहीं है (हाथ हिलाकर) हँसती हुईं। फिर जब सिर से टटोलती पैरों तक आई चरणों को स्पर्श किया तो माताजी का तो सहज स्वभाव था, जो चरण स्पर्श करे उनको आशीर्वाद देतीं थीं। सो दोनों हाथ कैथेरीन के सिर पर रखकर आशीर्वाद दे रही थीं।

कैथेरीन अचकचा गईं। आश्चर्य चकित थीं। परिजन कैथेरीन के भाग्य को सराह रहे थे, जगत् जननी स्वयं दोनों हाथ से आशीर्वाद दे रही हैं। काश ऐसा प्यार भरा आशीर्वाद मिलता।

इसके बाद माताजी अंदर चलीं गईं आँखों से ओझल हो गईं। बाद में कैथेरीन बाहर आईं एवं परिजनों से चर्चा की कि कौन थी जिनके लिए आप लोग आये। जब पूरा परिचय दिया गया तो अपने आपको धन्य मान रहीं थीं। अगली बार जब माता जी टोरेण्टो जाने एवं आने, लॉस ऐन्जिल्स से आते समय गेटबिक एयरपोर्ट पर उतरीं तो सबसे पहले चरण स्पर्श करने कैथेरीन आईं एवं आते जाते समय बिना चैकिंग किये हवाई जहाज तक छोड़ने के लिए जाया करती थीं। ऐसी थीं मानव मात्र के लिए आशीर्वाद लुटाने वाली माता जी।


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