अभिव्यक्तियाँ, बहुरंगी स्मृतियाँ

February 1995

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क्या कुछ नहीं समझा था वंदनीय माताजी के व्यक्तित्व में। आदर्श गृहणी, वात्सल्यमयी माँ, उत्कट तपस्विनी, आध्यात्मिक शक्तियों की दिव्य स्रोत, ओजस्वी वक्ता एवं कुशल व्यवस्थापिका आदि न जान कितने रूपों में वह अपना प्रकाश बाँटती बिखेरती रहीं। उनके जिस रूप को जिसने देखा, मुग्ध होकर देखता ही रह गया। बात हमारी-आपकी, उनके शिष्यों-भक्तों की नहीं उनकी भी है, जिन्हें समाज में विशिष्ट स्थान प्राप्त है। जिनके हाथ में देश और समाज ने अपनी बागडोर सौंपी है। वे सब भी माताजी के सामाजिक-साँस्कृतिक अनुदानों की चर्चा करते नहीं थकते।

ऐसे विशिष्ट लोगों का आना-जाना-मिलना-जुलना मिशन की शुरुआत से ही रहा है। स्वतंत्रता आँदोलन में पूज्य गुरुदेव की सक्रिय भागीदारी के कारण उस समय के मूर्धन्य व्यक्तित्व उनके घनिष्ठ संपर्क में थे। कुछ से तो उनके गहरे-घने पारिवारिक संबंध भी थे। बाद के दिनों में भी यही सिलसिला चलता रहा। गुरुदेव की प्रतिभा ने यदि उन्हें प्रभावित किया तो माताजी के प्रेम ने उन्हें आत्मीय संबंधों के बंधन में जकड़ लिया। ऐसे विशिष्ट जनों की बहुरंगी स्मृतियों की हलकी-सी झाँकी नीचे प्रस्तुत की जा रही है। समग्र विवरण देने के लिए तो शायद एक ग्रंथ का कलेवर भी छोटा पड़े फिर भी इस झलक में परिजन यह अनुभव कर सकेंगे कि समझदारों की भावनाएँ किस कदर माताजी को समर्पित होने के लिए आतुर-व्याकुल है।

माताजी सचमुच पारसमणि हैं। जिनका प्यार भरा स्पर्श पाकर काले कुरूप लोहे जैसा अनगढ़ मनुष्य भी खरे सोने में बदल जाता है। भगवान से मेरी प्रार्थना है कि आचार्य जी एवं माताजी की भावधा से उत्तर-प्रदेश ही नहीं समूचा देश और दुनिया परिचित-प्रभावित हो।

डॉ. एम. चेन्ना रेड्डी भूतपूर्व राज्यपाल (उत्तर प्रदेश)

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शाँतिकुँज आकर मुझे पहली बार अनुभव हुआ कि माँ का प्यार और उसका प्रभाव क्या होता है। वंदनीय माताजी के प्यार के आकर्षण ने उच्च शिक्षित एवं प्रतिभा संपन्न लोगों को भौतिकता का मोह छोड़कर शाँतिकुँज आने एवं लोक सेवा करने के लिए मजबूर किया है। उनके सान्निध्य में रहने वाले जो सदस्य हैं उनसे इस देश को बहुत उम्मीदें हैं मुझे पूरा विश्वास है कि गायत्री परिवार के कार्यकर्ता सामाजिक बुराइयों को दूर करने के अपने प्रयासों में सफल होंगे और एक नये समाज का निर्माण हो सकेगा।

पुरुषोत्तम कौशिक पूर्व पर्यटन एवं उड्डयन मंत्री भारत सरकार

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शाँतिकुँज आने पर प्रत्यक्षं हुआ कि यह आश्रम राष्ट्र निर्माण के कार्यों में रत है। जिससे न केवल विश्व निर्माण होगा, अपितु एक युग का नव निर्माण होगा। मुझे माताजी के स्नेह भरे व्यवहार ने अत्यंत प्रभावित किया है।

सत्य प्रकाश मालवीय (पूर्व मंत्री, उत्तर प्रदेश)

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समाज को सुधारने वाले यहाँ आकर खुली आँखों से देखें कि वंदनीय माताजी समाज निर्माण के अनेकानेक कार्यों का संचालन किस चमत्कारिक ढंग से कर रही हैं।

पवन दीवान भूतपूर्व, समाज कल्याण तथा सहकारिता मंत्री म. प्र.

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लोपामुद्रा, अनुसुइया जैसी महिला ऋषियों के बारे में अब तक पढ़ता-सुनता रहा हूँ। शाँतिकुँज आने पर माताजी के रूप में उस ऋषि तत्व का साक्षात्कार भी कर लिया। वह और आचार्य जी मानव जाति के कल्याण के लिए जैसी शिक्षा दे रहे हैं-उसकी अत्यंत आवश्यकता है। उनका कार्य आगे भी प्रगति करता रहेगा।

म. र. देवरस, पूर्व सर संघ चालक, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ

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शाँतिकुँज न आता, तो पता भी न चलता कि नारी शक्ति के विकास का सही स्वरूप क्या है। माताजी भारतीय नारी के आदर्शों की जीवंत मूर्ति हैं। स्नेह, ममत्व करुणा, साहस, सेवा, सदाशयता सभी गुण तो उनमें हैं। उनसे एक बार मिलकर हमेशा-हमेशा के लिए उनका अपना हो गया।

बृजलाल वर्मा, पूर्व संचार मंत्री, भारत सरकार

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इधर काफी अरसे से महसूस हो रहा था कि जैसे जीवन मुझसे बिछुड़ गया है। सब कुछ खोया-खोया सूना-सूना लग रहा था। आज माताजी के पास बैठकर लगा कि मेरा जीवन मुझे वापस मिल गया। उनके सान्निध्य में मुझे जीवन को नया आधार देने वाला अलौकिक तत्व चिंतन मिला। उनका ममत्व मेरे जिंदगी की सबसे बड़ी निधि बनी रहेगी।

जस्टिस वी. रामास्वामी तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश, पंजाब

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माता जी के पास कुछ देर रहकर मैं शक्ति अर्जित करके जा रहा हूँ। उनके द्वारा संचालित यह केन्द्र वैज्ञानिकों, समाज आँदोलनकारियों, करुण हृदय साहित्यकारों, कलाकारों एवं पत्रकारों के लिए प्रेरणा का केन्द्र है। मेरी इच्छा हे कि इन विविध विधाओं के मर्मज्ञ यहाँ आएँ और सीखें कि अपनी प्रतिभा एवं विशिष्ट क्षमता को नव निर्माण के लिए नियोजित करने की सही तकनीक क्या है?

सुन्दर लाल बहुगुणा प्रख्यात समाज सेवी, पर्यावरणविद्

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इस अंधकार में देश में एक किरण अभी बाकी है। वह युग निर्माण योजना है। जिसे माताजी के आशीर्वाद का मूर्त रूप कहा जा सकता है। माताजी का आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन देश और विदेश के लाखों नर-नारियों को प्राप्त हो रहा है और वे लोक सेवा के लिए जुट रहे हैं। मनुष्य जाति के लिए इससे बड़ा अनुदान और क्या होगा। जब कभी मैं हरिद्वार आया, यहाँ से नया उत्साह, नयी ऊर्जा लेकर गया।

मैं अपने को भाग्यशाली मानूँगा अगर वंदनीय माताजी मुझे जीवन के आखिरी समय इस मिशन की सेवा करने का अवसर प्रदान करें।

विद्याधर जोशी, पूर्व विधायक म. प्र. विधान सभा

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दूर बैठे, बिना देखे, माताजी के व्यक्तित्व की यथार्थ कल्पना करना कठिन है। जिसने भी उनको एक बार देखा, जो भी उनसे एक बार मिला, उनका अपना हो गया। उनके द्वारा संचालित यह संस्था ठीक उनकी ही तरह अद्भुत है। सही मायने में व्यक्तित्व परिष्कार का पुनीत कार्य जो शाँतिकुँज कर रहा है, बहुत ही सराहनीय है। वाणी और आचरण के अद्भुत संगम का नाम है शाँतिकुँज।

सुषमा स्वराज महामंत्री भा. ज. पा. राष्ट्रीय समिति

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गायत्री परिवार से भावनात्मक रूप से जुड़े रहने के कारण गायत्री मंत्र से निरंतर नवीन ऊर्जा प्राप्त होती रहती है। उसी तरह शाँतिकुँज, शांतिकुंज से चिंतन की एक नयी दिशा सदैव मिलती रहती है। विचार कार्य और लक्ष्य का, अद्वैत सार्थकता के नए क्षितिज का, उद्घाटन का जीवन के सात्विक एवं तात्विक मूल्य का, सृजन करता है। इसकी शक्ति, साधन एवं प्रेरणा की स्रोत वंदनीय माताजी हैं। जिनके चरणों में हमारे श्रद्धा सुमन सदैव अर्पित होते रहेंगे।

राजेन्द्र प्रसाद शुक्ल तत्कालीन अध्यक्ष म. प्र. विधान सभा

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गुरुदेव विचार हैं, तो माताजी क्रिया, गुरुदेव तप हैं, तो माताजी शक्ति, गुरुदेव ज्ञान हैं, तो माताजी भक्ति दो ऋषियों का यह युगल रूप मनुष्य जाति के बीच आज विद्यमान है, मनुष्यों के लिए भगवान का इससे बड़ा वरदान और क्या होगा।

रामानन्द सागर, निदेशक-निर्माता, रामायण सीरियल

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पहले कभी सुना था कि ऋषियों के दर्शन और चरण स्पर्श से जीवन धन्य हो जाता है। आज माताजी के पास बैठकर इसे अनुभव कर लिया। बहुत कुछ पाकर जा रहा हूँ यदि कुछ खोना पड़ा है, तो सिर्फ मन की अशांति।

लोकपति त्रिपाठी पूर्व मंत्री उत्तर प्रदेश सरकार

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ऐसे पवित्र स्थान में आने का अवसर मिला और माताजी के दर्शन हुए, यह मैं अपना सौभाग्य मानता हूँ। उनके द्वारा संचालित गतिविधियों में ही समाज का उज्ज्वल भविष्य सँजोया है।

टी. एन. चतुर्वेदी पूर्व कन्ट्रोलर एवं ऑडीटर जनरल भारत सरकार

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माताजी के कार्य की कल्पना हर कोई नहीं कर सकता। वह कल्पनातीत कार्य कर रही हैं। आध्यात्मिक सामाजिक कार्य के साथ देश की अखण्डता, एकता के लिए पूर्व ऋषियों तुल्य चिंतन, मनन, एवं कार्य प्रणाली मेरी राय में शायद ही कोई अन्य कर रहा हो। राजनीतिज्ञों एवं देश के कर्णधारों को उनका मार्गदर्शन लेना चाहिए। मैं जीवन को कृतार्थ समझूँगा। यदि उनके मार्गदर्शन के अनुसार कुछ कर सकूँ।

गिरिराज प्रसाद तिवारी पूर्व अध्यक्ष राजस्थान विधान सभा

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वंदनीय माताजी के दर्शन का शुभ अवसर मिला। थोड़े समय उनके सान्निध्य में बैठकर उनकी बातें सुनीं। उनके मन में देश की सुरक्षा एवं विकास के लिए अगाध प्रेम है। उनका सारा कार्य देश को समृद्ध बनाने के लिए चल रहा है। मनुष्य मात्र का कल्याण उनका मुख्य अभीष्ट है। आध्यात्मिक चिंतन एवं सामाजिक सेवा का अभूतपूर्व संगम यहाँ पर है।

माताजी के दर्शन करने के बाद यहाँ रहने की इच्छा प्रबल हो जाती है। थोड़ी अवधि में मार्गदर्शन मिला जो हर व्यक्ति का मार्ग प्रशस्त करता है और लक्ष्य की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा मिलती है मार्ग भी सुगम हो जाता है।

सत्येन्द्र नारायण सिंह पूर्व मुख्यमंत्री बिहार

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आज शाँतिकुँज की अधिष्ठात्री माताजी के दर्शन का सौभाग्य मिला। मानवीय प्रेम का अगाध समुद्र उनमें लहराता है। उसके कुछ क्षणों को पुकार मैं अपने को बड़भागी मानता हूँ।

अमर सिंह पूर्व मुख्य मंत्री, गुजरात

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मानवीय हित ही जिनका सब कुछ है, उनका नाम है माता जी। वह सचमुच में माँ हैं, किसी एक की नहीं सभी की, सारे मनुष्यों की, तभी तो सबके कल्याण की चिंता करती रहती हैं।

माधव सिंह सोलंकी पूर्व मुख्य मंत्री गुजरात

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माताजी एवं उनका कार्य कर्तव्य और धर्म के साथ मनुष्य को अपनी ऊँचाइयों में श्रेष्ठता तथा शाँति देने का अभिनव स्रोत है। माताजी स्वयं में ज्योतिपुँज हैं और उनकी कार्यकर्ता उनसे निकली हुई प्रकाश किरणें।

श्रीपति मिश्र, पूर्व मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश

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माताजी की प्रेरणा मुझे जीवन में सदैव मिली। देश में अनेक आध्यात्मिक विभूतियाँ हुई हैं। पर माताजी तो जैसे विभूतिपुँज हैं। उनमें सभी का सार निहित है। उनकी चेतना का स्पर्श पाकर भारत अपने खोए हुए गौरव को पुनः प्राप्त करेगा।

शिवचरण माथुर पूर्व मुख्यमंत्री राजस्थान

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भारत की प्राचीन संस्कृति एवं सभ्यता की महिमा यदि कोई जानना चाहे तो उसे शाँतिकुँज आकर माता जी से मिलना चाहिए। उनके द्वारा विश्व कल्याण के लिए किया जा रहा कार्य सर्वथा अद्वितीय है। मुझे विश्वास है कि यह कार्य दिन पर दिन आगे बढ़ता जाएगा। मैं इसकी सफलता की कामना करता हूँ।

श्री सत्यनारायण रेड्डी पूर्व राज्यपाल उ. प्र. (वर्तमान उड़ीसा के राज्यपाल)

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मानव कल्याण के लिए वंदनीय माता जी जो कर रही हैं, उसमें सहयोग तो दिया जा सकता है परंतु उसके विस्तार को नापा नहीं जा सकता।

अर्जुन सिंह पूर्व मानव संसाधन एवं विकास मंत्री, भारत सरकार

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इंसानियत, अमन, भाईचारे का पैगाम देने वाले इस आश्रम शाँतिकुँज को देखने की अभिलाषा आज पूरी हुई। इसका संचालन करने वाली माताजी मेरी अपनी भी माँ है।

इब्राहिम कुरैशी महामंत्री म. प्र. मुस्लिम एजुकेशन सोसायटी म. प्र.

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अपनी माँ की महिमा का बखान भला कौन नहीं करना चाहेगा? उनके ममत्व पर मेरा अधिकार है। मानवीय हितों में एवं उनके हितों में किए जा रहे कार्य, विश्व इतिहास में एक नया कीर्तिमान स्थापित करेंगे। मैं उनके चरणों में अपने को समर्पित करते हुए मानव सेवा में अपना योगदान देने का संकल्प लेता हूँ।

दिग्विजय सिंह मुख्य मंत्री म. प्र.

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मेरी माँ बचपन में ही मर गईं थीं। आज माता जी को देखकर ऐसा लगा कि फिर से मेरी माँ मुझे मिल गईं।

लालू प्रसाद यादव मुख्य मंत्री बिहार

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सचमुच आप विश्वमाता हैं। उड़ीसा ही क्यों सचमुच विश्व आपकी गोद में है।

बीजू पटनायक मुख्य मंत्री उड़ीसा

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माताजी राष्ट्र की आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत हैं। उनके द्वारा प्रारंभ किया गया अश्वमेध अभियान राष्ट्र निर्माण में अपनी सक्षम भूमिका निभाएगा, ऐसा मेरा विश्वास है।

भजन लाल मुख्य मंत्री, हरियाणा

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माता जी के आशीर्वाद का सुख मिला। भावनाओं एवं विचारों का जितना अद्भुत सामंजस्य उनमें समाया है, उसे बिना देखे कल्पना करना कठिन है। शाँतिकुँज के कण-कण में उनकी प्रेरणा समायी है। गायत्री परिवार उनकी आध्यात्मिक ऊर्जा का प्रवाह है। जिसमें शामिल होकर कोई भी उनकी चेतना का सुखद स्पर्श पा सकता है।

छबीलदास मेहता मुख्य मंत्री, गुजरात

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शाँतिकुँज संस्थान को देखकर मुझे अनिवर्चनीय आनंद की अनुभूति हुई। यहाँ की प्रवृत्तियों का परिचय पाकर प्रतीति हुई कि यह संस्थान आत्मकल्याण के लिए तो प्रयत्नशील है ही साथ ही आत्म कल्याण के द्वारा लोक मंगल भी इसे अभीष्ट है। सबसे बड़ी विशेषता इसकी यह है कि इसके पास अनमोल मानव संपदा है। वस्तुतः इसके पीछे एक महान विभूति की अथक एवं दूरदर्शितापूर्ण साधना है। सादगी-सरलता एवं सात्विकता की त्रिवेणी यहाँ से प्रवाहित है। इसकी अधिष्ठात्री तो प्रेम की प्रतिमूर्ति हैं। मैं इस संस्थान की उत्तरोत्तर उन्नति की कामना करता हूँ।

यशपाल जैन प्रख्यात साहित्यकार एवं मंत्री सस्ता साहित्य मंडल

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माता जी के श्रेष्ठ कार्यों से मैं बहुत वर्षों से परिचित हूँ। माताजी ने अपने प्रेमपूर्ण वात्सल्य के सूत्र में अनेक लोकसेवी कार्यकर्ताओं की मणिमाला तैयार की है। जिसे वह विश्वमानवता के लिए समर्पित कर रही हैं। उनकी तप साधना के प्रभाव से संपन्न वैभवशाली, और आध्यात्मिकता से भरे पूरे भारत का निर्माण होगा।

प्रो. राजेन्द्र सिंह रज्जू भइया सरसंचालक राष्ट्रीय सेवक संघ

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माताजी के सान्निध्य से स्फूर्ति, प्रेरणा एवं बल लेकर जा रहा हूँ। उनके पास आकर चेतना को नई शक्ति मिली। उनके यह कार्य बढ़ें, केन्द्र अधिकाधिक सामर्थ्यवान बने, यही प्रभु से प्रार्थना है।

मुरली मनोहर जोशी, वरिष्ठ राजनेता, भारतीय जनता पार्टी

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मानवीय संवेदना अगर घनीभूत हो जाए तो कैसी होगी, यह माता जी को देखकर पता चला। उनके द्वारा चलाया गया, अश्वमेध अभियान राष्ट्र निर्माण का वेगपूर्ण प्रवाह है।

अटल बिहारी बाजपेई वरिष्ठ राजनेता, भारतीय जनता पार्टी

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जहाँ से आत्मिक शाँति एवं आध्यात्मिक शक्ति का प्रवाह निरंतर बहता रहता है उनका नाम ही माता जी है। वर्षों से मेरा उनसे परिचय है। जितने दिन होते जाते हैं, उतनी ही आत्मीयता सघन हो जाती है। संक्षेप में इतना ही कह सकता हूँ कि शब्दों में उनके व्यक्तित्व की मर्यादा नहीं बाँधी जा सकती।

भैराँ सिंह शेखावत मुख्य मंत्री, राजस्थान

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समाज में संस्कारों की पुनः प्रतिष्ठा का जो कार्य माता जी कर रही हैं। उसके लिए सदैव यह देश ऋणी रहेगा। अल्प समय में उन्होंने जितना कार्य किया है उस चमत्कार को देखकर ऐसा लगता है कि एक सामान्य मानवी सामर्थ्य से इतना कुछ संभव नहीं। मानवीय शरीर में वह विशिष्ट देव शक्ति हैं। मेरा उनको नमन।

अशोक सिंघल महामंत्री विश्व हिंदूपरिषद

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भारत परिक्रमा के अवसर पर पहली बार शाँतिकुँज आने एवं माता जी से मिलने का सुयोग प्राप्त हुआ। इस सुयोग को पाकर लगा कि जीवन के सभी पुष्पों का पारितोषिक मिल गया। वंदनीय माताजी के व्यक्तित्व से निकलती प्रेमपूर्ण तरंगों ने जीवन में जिस अलौकिक ऊर्जा को प्रवाहित किया, उसे बता सकना शब्दों के बूते की बात नहीं।

डॉ. एम. लक्ष्मी अध्यक्ष विवेकानंद केन्द्र कन्याकुमारी

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भावभरी यादों की इस श्रृंखला का विस्तार बहुत बड़ा है जो अंतहीन है। जिसे आगे भी प्रस्तुत किया जाता रहेगा। अनगिनत रूपों में अपनी ऊर्जा बाँटने वाली अपनी माँ के व्यक्तित्व ने वह सब कुछ सँजोया है, जिसकी स्मृति एवं अनुभूति हम में ऐसी पुलकन देती रहेगी, जिससे हमारा जीवन सुखद रोमाँच से भर जाए।


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