आप ही माँ! धड़कनें हैं, आप ही माँ ! प्राण हैं। आप हैं माता हमारी, हम सभी संतान हैं॥1॥
माँ ! रगों में दौड़ता जो, आपका ही रक्त है। आपका स्वर मुखर होता, साँस में हर वक्त है॥
आपके स्नेहिल-स्वरों की, सुन रहे हम तान हैं। आप ही माँ! धड़कनें हैं, आप ही माँ! प्राण हैं॥2॥
आपका अंचल सुखद, लगता अधिक, माँ-स्वर्ग से। आपकी गोदी, हमें प्रिय है अधिक, आपवर्ग से॥
भाव-संवेदन जगाते आपके ही गान हैं॥ आप ही माँ! धड़कने हैं, आप ही माँ! प्राण हैं ॥3॥
आपका संस्पर्श, जैसे छू लिया हो फूल ने। आपकी बांहें, सहारा ज्यों दिया, दो कूल ने॥
आपकी बांहें, हमें तो अभय का वरदान हैं। आप ही माँ! धड़कनें हैं, आप ही माँ प्राण हैं॥4॥
माँ बताओ! आपको फिर छोड़कर जायें कहाँ। और ऐसा स्नेह-संवेदित-हृदय पायें कहाँ॥
क्या पता हमको, कहीं भी और क्या भगवान हैं। वक्त आने पर लजायेंगे नहीं, हम दूध को।
आप पायेंगी, सदा सद्कर्म-रत, निजपूत को॥ आप पर सब हो समर्पित, बस यही अरमान हैं॥
आप ही माँ! धड़कनें हैं, आप ही माँ ! प्राण हैं॥6॥
-मंगल विजय