हल्दीघाटी के संग्राम में जब लड़ते-लड़ते महाराणा प्रताप की सेना खूब थकने लगी और स्वयं महाराणा प्रताप के प्राण संकट में पड़ गये तो सादड़ी के वीर झाला सरदार ने महाराणा को हटाकर स्वयं उनकी जगह पर उनका मुकुट धारण कर चँवर, मोर, छत्र, आदि राज चिन्हों के साथ हाथी पर चढ़कर यवनों को दिखा दिया कि महाराणा समर से हटे नहीं हैं। अपने स्वामी के प्राण बचाने में अपने प्राण निछावर कर दिए, लेकिन देश को हार से बचा लिया।