अथो खल्वाहु काममय एवाअयं पुरुष इति। स य्रथा कामो भवति तत्क्रतुर्भवति। यत्क्रतुर्भवति तर्त्कम कुरुते। यर्स्कम कुरुते तदभिसम्पद्यते। -वृहदारण्यक 30। 4। 4। 5
यह मनुष्य भावना-मय है। जैसी कामना करता है वैसे विचार आने लगते हैं। जैसे विचार उठते हैं वैसा निश्चय करता है। जैसा निश्चय करता है वैसे काम होने लगते हैं। जैसे काम करता है वैसा फल भोगता है।
*समाप्त*