आम्रवृक्ष से अनुरोध किया (Kahani)

April 1988

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थोड़े से विषैले कीड़ों ने आम्रवृक्ष से अनुरोध किया कि उसे अपने आश्रय में जीवन यापन करने की आज्ञा दी जाये। उदार वृक्ष ने अपनी सहजशीलता से प्रेरित होकर वैसा करने की छूट दे दी।

कीड़ों ने वंश वृद्धि आरम्भ कर दी। देखते-देखते वे असीम संख्या में बढ़ गये। उनने फल-फूल और पत्तों पर अड्डा जमाया और वृक्ष की समूची उपयोगिता-हरीतिमा और शोभा को समाप्त कर दिया।

साथ वाले दूसरे वृक्षों ने उपालम्भ देते हुए कहा-कि आप सज्जन  रहते पर उसका अतिवाद अपना कर दुर्जनों को आश्रय तो न देते।


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