नवीनतम निर्धारण के अनुसार गुरुदेव मई और जून के दोनों महीने उद्घाटन प्रवास को निरस्त करके शान्ति कुँज हरिद्वार में ही रहेंगे और उन दिनों चार-चार दिवसीय पूर्व निर्धारित परिवार सत्रों का संचालन स्वयं करेंगे। इसके अतिरिक्त इन्हीं दिनों सर्वसाधारण की सुविधा के लिये समस्त प्रज्ञापीठों, शक्तिपीठों के संचालन की व्यवस्था जो नहीं बन थी, उनकी गुत्थियों का तात्कालिक समाधान, प्रज्ञा पुत्रों का अभिषेक संस्कार, अध्यापकों से विशेष वार्ता, सभी अन्तरंग परिजनों से विशेष परामर्श जैसे अति महत्वपूर्ण कार्य इन्हीं दो महीनों में सम्पादित करते रहेंगे। इस दृष्टि से यह चार-चार दिन के बारहों सत्र अति महत्वपूर्ण होंगे। जो परिजन इच्छा रहते हुये भी पिछले दिनों के सत्रों से उपस्थित नहीं हो सके हैं एवं जो भविष्य में किसी सत्र में आने की बात सोचते हैं, उन सभी के लिये यह अलभ्य अवसर है कि वे मई, जून के चार-चार दिवसीय सत्रों में से किसी में पहुँचने की तैयारी करें और समय से पूर्व अपना स्थान सुरक्षित करा लें। मई जून के दोनों महीनों में चार-चार दिन के सत्रों की तारीखें इस प्रकार है- दोनों महीनों के छः-छः सत्र मिला कर कुल बारह सत्र होंगे। स्थान भर गया हो तो इच्छित सत्र के स्थान पर दूसरे किसी सत्र में स्थान दिया जाय यह बात भी आवेदन पत्र के साथ ही लिख दी जानी चाहिये।