ईसामसीह यहूदी शमौन के यहाँ भोजन करने गये। यहूदी अमीर था। ईशु के शुभागमन पर अपने भाग्य को सराहने लगा। सोचा इसी बहाने महापुरुष के चरणों से अपना भवन पवित्र हो जायेगा। उसी नगर की प्रसिद्ध वैश्या पर भी ईशु के उपदेशों का गहरा प्रभाव पड़ चुका था। वह विगत जीवन की पापमय केंचुल को उतार कर नये मार्ग की खोज कर रही थी। ढूंढ़ने वाले को तो भगवान भी मिल जाते हैं। जब उसे पता चला कि ईशु शमौन के यहाँ भोजन करने गये है तो वह भी दर्शन की आकाँक्षा से उनके घर पर जा पहुँची।
वहाँ पहुँच मरियम ईसा के चरणों में बैठी और अपने आँसुओं के जल से ईसा के चरण धोये। अपनी केश राशि से उन्हें पोछा फिर उन्हें चूमने लगी।
ईसा टस से मस न हुए, पर शमौन को इस स्वच्छन्दता से घर में आना और ईसा का इस तरह सत्कार करना अच्छा न लगा। एक वैश्या का घर में आना भला कौन सद्गृहस्थ सहन करेगा? वे सोचने लगे यदि यह सर्वज्ञ होते तो इस दुराचारिणी से भला अपने अंगों का स्पर्श कराते?
ईसामसीह को वस्तुस्थिति समझते देर न लगी उन्होंने शमौन को पास बुलाकर शंका का निवारण करते हुए एक कहानी सुनायी- एक महाजन के दो कर्जदार थे। एक पर पाँच सौ दीनारों का कर्ज और दूसरे पर केवल पचास दीनारों। महाजन के पास दोनों व्यक्ति गये और अपनी असमर्थता प्रकट कर गिड़गिड़ाने लगे।
महाजन ने कहा-यदि आप इस स्थिति में नहीं है कि कर्ज पटा सकें तो आपको माफ किया। राशि में कम ज्यादा का फर्क जरूर था, पर माफी दोनों को बराबर दी गई। यदि हम ध्यान से देखें तो सबसे ज्यादा माफी पाँच सौ दीनार वाले कर्जदार को मिली। क्योंकि महाजन की दृष्टि में इसके प्रतिनिष्ठा और पात्रता पहले की अपेक्षा कही अधिक थी।
शमौन यही बात तो आज मरियम के सम्बन्ध में है। इसने अपने में जितनी पात्रता विकसित की है, उतनी यहाँ मैं तुममें से किसी में नहीं देख रहा हूँ। क्या तुम्हें नहीं मालूम कि यह अपने समूचे जीवन को ही बदलने की योजना बना चुकी है और तुम केवल एक समय भोजन करवाकर ही उसका पुण्य लूटना चाहते हो। इसलिए मैंने तुम्हें तुम्हारी निष्ठा के अनुसार दिया है और मरियम को उसकी निष्ठा और श्रद्धा के अनुसार।
उपस्थित सभी लोग एक स्वर में चिल्लाये ईसा। तुम मरियम को क्षमा कैसे कर सकते हो? यह तुम्हारा दुःसाहस है। दुष्टों को क्षमा करने का अधिकार तो केवल ईश्वर को है।
ईसा ने कहा मैंने आज तक नहीं सुना कि ईश्वर किसी को वैश्या या दुराचारी बनाता है। किसी भले घर की रमणी को वेश्यावृत्ति की ओर ले जाने तुम सब समाज के प्रतिनिधि हो। तुम्हें किसी कन्या को वैश्या बनाने का अधिकार किसने दिया? मरियम को अपने विगत जीवन के दुष्कृत्यों पर कितनी आत्म ग्लानि है। इस आत्म ग्लानि से अधिक पवित्र भला किसी सरिता का जल है।
ईसा ने मरियम के सिर पर आशीर्वाद का हाथ रखते हुए कहा देवि! तुम्हारी आत्म ग्लानि विश्वास की रक्षा करेगी और सारे कलुष तथा पापों को भस्म करके कंचन की तरह खरा बना देगी। प्रायश्चित के द्वारा हर व्यक्ति अपने विगत पाप कर्मों का शमन करके नव जीवन प्राप्त कर सकता है।