एक दिन चार तत्व आपस में झगड़ पड़े और अपनी अपनी शक्ति का बखान करते हुए बड़प्पन का दावा करने लगे।
पृथ्वी ने कहा-सबका बोझ मैं उठाती हूँ। सबका पेट मैं भरती हूँ। जल ने कहा संसार में मेरी ही दी हुई सरसता बिखरी पड़ी है। पवन बोला जीवन मेरा ही नाम है मेरे बिना हर किसी का दम घुट जाएगा। अग्नि ने कहा मेरे ताप के बिना इस संसार में शीत भरी निस्तब्धता के अतिरिक्त और क्या बच रहेगा?
आकाश अपना नील परिधान ओढ़े फिर भी चुप ही खड़ा रहा और सोचता रहा यह नादान लड़के यह क्यों नहीं देखते हैं कि वे चारों और ही मेरी अदृश्य गोद में बैठे हुए जीवन धारण कर सकने में समर्थ हो सके हैं।