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November 1975

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विपन्न परिस्थितियों में दुर्बल मनः स्थिति के लोग हताश होकर अपनी प्रतिभा खो बैठते हैं। किन्तु जिनमें जीवट मौजूद है, वे विपन्नता की चोट खाकर तिलमिला उठते हैं और कुछ कर गुजरने के लिए उतारू हो जाते हैं। उपहासास्पद और उपेक्षित परिस्थितियों द्वारा अपने शौर्य, साहस की दी गई चुनौती को जिनने स्वीकार कर लिया उनने अपने जागृत पुरुषार्थ का चमत्कार किस प्रकार प्रस्तुत किया इसके अनेकानेक उदाहरण इतिहास के पृष्ठों पर भरे पड़े हैं।


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