Loading...
All World
Gayatri Pariwar
Get App
Books
Magazine
Language
English
Hindi
Gujrati
Kannada
Malayalam
Marathi
Telugu
Tamil
Stories
Collections
Articles
Open Pages (Folders)
Kavita
Quotations
Visheshank
Quick Links
Book Catalog
Whats New
Downloads
Write to Us
Login
Akhand Jyoti
Year 1975
Version 2
मानव नहीं देवता...
मानव नहीं देवता है जो (kavita)
November 1975
Read Scan Version
<<
|
<
|
|
>
|
>>
Page #33 Doesn't have any Data.
Please go to first Page.
<<
|
<
|
|
>
|
>>
Write Your Comments Here:
Page Titles
दुख और सुख-सहोदर सहचर
प्रकाश भरा आनन्द हमारी ही मुट्ठी में है
आस्तिकता मानवी प्रगति के लिए नितान्त आवश्यक
Quotation
प्रायश्चित द्वारा पुनर्जीवन
विलक्षण क्षमताओं से सम्पन्न हमारे कल पुर्जे
अपने ब्रह्माण्ड का जन्म और मरण
मानवी प्रगति का एक मात्र आधार भाव भरा सहयोग
आनन्द प्राप्ति की दिशा और चेष्टा
विक्षुब्ध आत्मा और उसके उपद्रव
Quotation
सुख दुःख हमारी कल्पनाओं पर निर्भर है।
शक्ति का बखान (kahani)
नेत्रों की सुरक्षा इस प्रकार की जाय
शान्ति और प्रगति तरलता-सरलता पर निर्भर है।
कल्पना नहीं तत्परता सफल होती है।
आत्म हीनता एक महा व्याधि
विज्ञान और अध्यात्म साथ-साथ ही बढ़ेंगे
बीमारियों को हम निमन्त्रण देकर बुलाते हैं
पादरी केलाल्ड (kahani)
आत्महत्या मानसिक विकृति की दुखद प्रतिक्रिया
Quotation
टहलना एक अति उपयोगी और अति सरल व्यायाम
मजाक का प्रयोग सुधार के लिए(kahani)
बढ़ती हुई हिंसा वृत्ति उसका कारण और निवारण
परिवार संस्था का नव निर्माण नारी जागरण से ही होगा
वधू को गृहलक्ष्मी बनाया जाय
सिगरेट जिसने मार्कवाटर्स को कैंसर के द्वार तक पहुँचाया
समय का पालन एक महत्वपूर्ण आदत
अपनों से अपनी बात
मानव नहीं देवता है जो (kavita)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
See More