काँटों के साथ जिन्दगी काटना तुम्हें असह्य तो नहीं हो जाता? चाँदनी ने गुलाब के फूल से पूछा।
फूल बोला—भिन्न प्रकृति वाले के बीच अपने ढंग से काँटे भी तो रहते ही हैं; फिर सहिष्णुता की नीति अपनाने में मुझे ही क्यों कठिनाई पड़ेगी।