मृतात्मा का प्रिय पदार्थों से सम्बन्ध

October 1974

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मरने के उपरान्त सूक्ष्म शरीर कई बार तो जन्म ले लेता है। कई बार बहुत समय तक पुरानी वस्तुओं−पुराने व्यक्तियों तथा पुरानी परिस्थितियों के साथ अत्यधिक मोह जुड़ जाने के कारण जीवात्मा उन्हीं में रहना पसन्द करती है। ऐसी स्थिति में उन्हें प्रेतात्मा कहा जाता है। अपनी रुचि की परिस्थितियों में उन्हें प्रसन्न और प्रतिकूल अवसर आने पर उन्हें अप्रसन्न देखा गया है। अनुकूलता में उनका सहयोग और प्रतिकूलता में उनका प्रतिरोध होते देखा गया है। इससे प्रतीत होता है कि आत्मा का न केवल अस्तित्व बना रहता है वरन् स्वभाव और रुचि भी लगभग वैसी ही बनी रहती है। सूक्ष्म शरीर द्वारा उनकी क्रियाएँ इसी आधार पर गतिशील रहती है। अपनी प्रिय वस्तुओं—प्रिय परिस्थितियों के साथ आत्माएँ कई बार बहुत घनिष्ठ सम्बन्ध बनाये रहती है इसके कितने ही प्रमाण मिलते रहते हैं।

अपनी शताब्दी की विश्व विख्यात नर्तकी अन्ना पावलोवना की निधन स्मृति में जब उसकी शिष्या नर्तकियों ने एक नृत्य समारोह आयोजित किया तो दर्शकों ने प्रत्यक्ष देखा कि मृतात्मा की छाया भी साथ−साथ नृत्य कर रही थी।

इसी प्रकार इटली के प्रसिद्ध वायलिन वादक पागगिनी के स्मृति समारोह में मृतात्मा का प्रिय वायलिन स्वयमेव बज उठा और उससे ध्वनि निकली, मैं पागगिनी हूँ—’मैं पागगिनी हूँ।’ इस विचित्र दृश्य को देखकर दर्शकों ने आश्चर्यचकित एवं आतंकित होकर प्रेतात्मा की उपस्थिति अनुभव की। उन दिनों घर−घर इस प्रसंग की चर्चा रही।

अमेरिकी और अँग्रेज मिलकर मिश्र की समाधियों की खोज कर रहे थे उस खोज के पीछे मात्र पुरातत्व विषयक रहस्यों का जानना ही नहीं था, पर उनमें दबी हुई विपुल स्वर्ण सम्पदा एवं रत्न राशि से लाभान्वित होना भी था। इसके अतिरिक्त एक और भी बात थी—उन किम्वदन्तियों की वास्तविकता जानना जिनमें कहा जाता था कि इन समाधियों की रक्षा प्रेतात्मा करती हैं जो उन्हें छेड़ेगा वह खतरा उठायेगा। एक समाधि पर तो स्पष्ट शब्दों में शिलालेख लगा था—”जो फराऊनी कब्रों की छेड़छाड़ कर मृतात्माओं की शान्ति भंग करेगा उसे अकाल मृत्यु ला जायेगी।”

कब्रों की खुदाई का काम सबसे पहले लार्ड कार्नार्वल ने अपने हाथ में लिया था। उनका परिवार भी उस कार्य में दिलचस्पी ले रहा था और सहयोग दे रहा था। इसका भयंकर परिणाम सामने आया। एक−एक करके उस अभियान से सम्बन्धित बाईस व्यक्ति कुछ ही समय के अन्दर काल के गाल में बड़े विचित्र घटना−क्रम के साथ चले गये। लार्ड वेस्टवरी अनायास ही छत पर से कूद पड़े और मर गये। उनका बेटा जो खुदाई का इंचार्ज था। रात को अच्छा−खासा सोया सुबह मरा हुआ पड़ा मिला। डा. अर्चिवाल्ड डगलस रीड एक ममी का एक्सरे कर रहे थे कि उनका हार्ट फेल हो गया। आर्थर बाइबाल को मामूली सा बुखार ही खा गया। आव्रेहर्बर्टन सहसा पगला गये और आत्महत्या कर बैठे। लार्ड कानर्विल की पत्नी लेडी एलिजाबेथ एक तुच्छ से कीड़े के काटने के बहाने से ही ढेर हो गई। इस प्रकार उनका पूरा कुटुम्ब ही नहीं सहकारी मण्डल भी देखते−देखते अकाल मृत्यु का ग्रास हो गया।

यह प्रख्यात था कि नील नदी की घाटी में अवस्थित तूतनखामन की समाधि सबसे अधिक रहस्यमय साथ ही सर्वाधिक सम्पत्ति से भरी−पूरी है। इसका लोभ खोजी लोग छोड़ नहीं पा रहे थे। यों इतनी मौतें देखते−देखते हो जाने के कारण सारे इंग्लैंड में आतंक छाया हुआ था और प्रेतात्माओं की बात का मखौल उड़ाने वाले लोग भी आश्चर्यचकित होकर इस प्रकार मृत्युएँ होने की बात को “संयोग मात्र” नहीं कह पा रहे थे। वे भी इच्छा न रहते हुए भी उन किम्बदन्तियों के आगे सिर झुका रहे थे जिनमें समाधियों के साथ छेड़खानी करने वालों को जोखिम उठाने की चेतावनी दी जाती रही थी।

यह खुदाई मिश्र में पुरातत्ववेत्ता विभाग सम्भालने वाले विद्वान हावर्ड कारटर ने इंग्लैंड के उत्साही धनपति लार्ड कानर्बिग की साझेदारी में आरम्भ कराई थी। इसका परिणाम कुछ अच्छा नहीं निकला। दोनों ही साझीदार समान रूप से क्षतिग्रस्त हुए कार्टर को भी जानमाल की भारी क्षति उठानी पड़ी।

कई बार ऐसी घटनाएँ भी सामने आई हैं जिनमें प्रेतात्माओं ने अपने कुटुम्बियों की परिस्थितियों में दिलचस्पी ली है और उनकी यथासम्भव सहायता भी की है।

रॉयल सोसाइटी के फैलोजोसफ ग्लैनविल इंग्लैंड के प्रामाणिक और सम्मानित नागरिक थे। उनने अपने संस्मरणों में सन् 1662 में घटित हुई एक प्रेत अस्तित्व की घटना का उल्लेख किया है। उनके कथानुसार इंग्लैंड के विल्ट शायर स्थान में नियुक्त एक न्यायाधीश की अदालत में आये एक विचित्र केस का वर्णन है। एक अर्ध विक्षिप्त सा व्यक्ति कहीं से पुराना नगाड़ा खरीद लाया। वह उसे सड़क पर खड़ा होकर विचित्र ढंग से बजाता—भीड़ इकट्ठी करता और पैसे बटोरता। पुलिस ने उसे रास्ता रोकने और अवाँछनीय भीड़ जमा करने के अपराध में पकड़ कर नगाड़े समेत अदालत में पेश किया। अदालत ने उसे चेतावनी देकर छोड़ दिया और नगाड़े को जब्त करने का हुक्म दिया। कुछ दिन बाद बेकार पड़े नगाड़े को पुलिस ने उस मजिस्ट्रेट के घर ही पहुँचा दिया। वहाँ उस घर के एक कौने में पटक दिया गया।

जिस दिन से नगाड़ा उनके घर में पहुँचा उसी दिन से वहाँ प्रेतों के उपद्रव शुरू हो गये। किवाड़ों को खटखटाने की—छप्पर पर धमा चौकड़ी और आँगन में उछल−कूद होने की घटनाएँ निरन्तर होने लगीं। बहुत तलाश करने पर भी कोई दिखाई न पड़ता था, पर घटनाएँ बराबर होती थीं। स्वयं प्रयत्न करने और नौकरों, पड़ौसियों की सहायता लेने के बाद भी जब उस उपद्रव का समाधान न हो सका तो पुलिस की सहायता ली गई, पर वे लोग भी देखते, सुनते, समझते हुए भी कुछ कर न सके। जो दिखाई ही नहीं देता उसको रोका या पकड़ा कैसे जाय?

एक दिन मजिस्ट्रेट ने देखा कि किसी मजबूत आदमी ने जोर का धक्का देकर किवाड़ें खोल लीं, चटखनी टूट गई और वह व्यक्ति ओवरकोट पहने हुए घर के भीतर घुसता चला आया और आँगन में होता हुआ जीने के रास्ते छत पर चढ़ गया। आश्चर्य यह था कि ओवरकोट तो आँखों से दीख रहा था, पर पहनने वाले के हाथ−पैर, चेहरा आदि सभी नदारत था। लगता था अकेला कोट ही यह सब हरकतें कर रहा है। इस घटना के बाद तो एक प्रकार से इन उपद्रवों को प्रेतात्मा की करतूत ही मान लिया गया।

अब यह तलाश किया जाना था कि आखिर थोड़े ही दिनों से यह उपद्रव क्यों खड़े हुए इससे पहले क्यों नहीं थे? घर में कुछ अजनबीपन तो नहीं हुआ। इस ढूँढ़−खोज में जब्त किया गया वह नगाड़ा ही नजर आया जो एक पगले से छीना गया था और उसने भी किसी कबाड़खाने से खरीदा था। नगाड़ा हटाया गया−साथ ही उन उपद्रवों का भी अन्त हो गया। इतना ही नहीं उस पगले का भी पता लगाया गया तो पता चला कि वह सदा से ही विक्षिप्त नहीं था। सस्ता माल देखकर कबाड़खाने से वह उस नगाड़े को खरीद लाया था। जिस दिन से उसे लाया वह पगला गया और शोर मचाने, भीड़ इकट्ठा करने की बेतुकी करतूतें करने लगा। जिस दिन से नगाड़ा जब्त हुआ उसी दिन से वह सामान्य स्वाभाविक स्थिति में पहुँच गया; जिस दिन नगाड़ा हटाया गया उसी दिन से मोक्सन के घर में भी शान्ति आ गई।

समझा गया कि उस नगाड़े के असली मालिक की प्रेतात्मा अपनी प्रिय वस्तु के साथ चिपकी रही है और वह वस्तु जहाँ कहीं भी पहुंची है वहीं उस आत्मा ने भी प्रवेश पदार्पण किया है।

सत्रहवीं सदी के पादरी जेरेन्सी टेलर ने अपनी स्मरण पुस्तक में एक प्रेतात्मा का आँखों देखा विवरण लिखा है। जब पादरी घोड़े पर सवार होकर वेलफास्ट से डिल्सगेरी जा रहा था तो कोई अजनबी व्यक्ति सहसा उसके पीछे घोड़े की पीठ पर सवार हो गया। चकित पादरी ने उसका परिचय एवं उद्देश्य पूछा तो उसने अपना नाम हैडकजेम्स बताया और कहा आप मेरी विधवा पत्नी तक यह सन्देश पहुँचा दें कि उसका नया पति जल्दी ही उसके साथ धोखा करने वाला है। वह बचे। पादरी ने बताये हुए नाम पते पर वह सन्देश पहुँचा दिया। पर स्त्री ने उस बात पर न तो ध्यान दिया और न विश्वास किया।

कुछ दिनों बाद उस स्त्री का खून हो गया। हत्या का मुकदमा कैरिकफोरेन्स की अदालत में चला। पुलिस को सन्देह था कि यह हत्या उसके नये पति ने पत्नी की सम्पत्ति हड़पने के लिए की है इस संदर्भ में पादरी जेरेंसी टेलर ने भी अपनी प्रेत वार्ता की साक्षी प्रस्तुत की।

पादरी की गवाही प्रामाणिक नहीं समझी गई और अदालत द्वारा कहा गया कि यदि ऐसी बात है तो मृतात्मा को अदालत में उपस्थित होकर अपनी बात कहनी चाहिए। सर्वत्र सन्नाटा था। अचानक जोर से बिजली कड़कने जैसी आवाज हुई। अदृश्य से एक हाथ निकला और उसने अदालत की मेज पर तीन बार जोर−जोर से थपकी दी। इस दृश्य को देखकर न्यायाधीश एवं सभी आतंकित हो गये। अदालत ने दूसरे पति डेवीज को अपराधी घोषित करते हुए उसे समुचित दण्ड दिया।

मृतात्मा के प्रिय पदार्थों को दान कर देने अथवा अन्यत्र कहीं स्थानान्तरित कर देने का प्रचलन इसी दृष्टि से है कि उसे अन्यत्र जन्म लेने या विकास−क्रम के अनुरूप आगे बढ़ने में अड़चन न पड़े। प्रिय वस्तुओं में उलझा रहने के कारण आत्मा अशान्त और उद्विग्न ही रह सकता है जिस प्रकार घर के सम्बन्धी मृतक का अभाव अनुभव करके दुखी रहते हैं उसी प्रकार वह जीव भी बार−बार अपनी प्रिय वस्तुओं एवं परिस्थितियों के इर्द−गिर्द मंडराता रहकर दुखी हो सकता है। वहीं डेरा डालकर बैठा रह सकता है और उस उपस्थिति से घर−परिवार के लोगों को असुविधा अनुभव हो सकती है। इसलिए अच्छा यही समझा गया कि उन वस्तुओं को अन्यत्र स्थानान्तरित कर दिया जाय। दान में देकर आत्मा को

यह विश्वास दिला दिया जाय कि वे पदार्थ अब परिवार के आधिपत्य में नहीं रहे, वरन् किसी धर्म सत्ता के अधिकार में चले जाने के कारण पराये हो गये। मृतक की वस्तुओं का दान करने का एक कारण यह भी है कि घर के लोग उन्हें देख−देखकर शोक−सन्तप्त रहने की कठिनाई से बच जायें और विस्मृति अपनाकर अपना मन जल्दी हलका कर सकें।

जो हो, इतना निश्चित है कि शरीर के साथ आत्मा का अन्त नहीं हो जाता। यदि आत्मा अधिक भावुक या मोहग्रस्त है तो उसे प्रेतात्माओं के रूप में सम्बन्धित पदार्थों तथा व्यक्तियों से मोह बना रह सकता है। यह मोह मृतात्मा की प्रगति और कुटुम्बियों की सुविधा की दृष्टि से अवाँछनीय है। इसलिए अन्त्येष्टि संस्कार के साथ इस प्रकार के धर्मोपचार जोड़े गये हैं जिससे आत्मा का मोह एवं शोक शान्त हो सके उसे अन्यत्र जन्म लेने का अवसर मिल सके।


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