ह्वेल संसार का सबसे बड़ा जानवर है। जलचरों में सबसे बड़ा और सबसे सबल यही होता है। पर उसका जबड़ा इतना छोटा होता है कि उसमें हिरिग, मछली उलझ जाय तो श्वाँस नली बन्द कर देती है और उस छोटे से व्यवधान से ही उसका अन्त हो जाता है।
मनुष्य की सबलता ह्वेल से भी बड़ी है, पर दुर्बुद्धि की आपत्ति के चंगुल में फँसकर वह अपना सब कुछ गँवा बैठता है और क्षुद्र प्राणियों से भी अधिक घाटे में रहता है।