प्रधानमंत्री सुन शू आओ

March 1972

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

राजा क्वाग ने अपने राज्य का प्रधानमंत्री सुन शू आओ को तीन बार बनाया और तीन बार निकाला, फिर भी उनके चेहरे पर न कभी खुशी देखी गई न उदासी। वे शान्त चित्त से अपने कामों में लगे रहे।

विद्वान कीन बू ने इस अपरिवर्तनशीलता का कारण पूछा।

शू आओ ने कहा-इसमें मेरा क्या बना-बिगड़ा जो मैं उत्तेजित होता।

जब मुझे मंत्री बनने को कहा गया-तो मैंने सोचा उसे अस्वीकार करना ठीक नहीं।

-जब वह पद छिना तो मैंने सोचा जहाँ जरूरत नहीं वहाँ चिपके रहना बेकार है।

-मन्त्री पद ने मेरा कुछ बनाया नहीं उसके न रहने से मेरा कुछ बिगड़ा नहीं। मैं जहाँ था वहाँ का वहीं मौजूद हूँ। - फिर वह सम्मान जो मिला, मेरा था या कुर्सी का?

-यदि कुर्सी का था तो उससे मुझे क्या लेना देना?

यदि वह मेरा सम्मान था तो उसमें कुर्सी के रहने न रहने से क्या अन्तर पाया?

कीन बू का समाधान हो गया। और वे समझ गये कि किस मनःस्थिति का मनुष्य हर हालत में खुश रह सकता है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118