केरल के प्रसिद्ध कलाकार कृष्णन के पड़ौस में एक मुसलमान के घर आग लगी। दो छोटे बालक प्रचण्ड आग में घिर गये। माता-पिता बचाने की पुकार लगाते हुए खड़े चीत्कार कर रहे थे। कृष्णन आग में कूदे और बच्चों को सुरक्षित वापस निकाल आये। पर वे इतने झुलस गये कि स्वयं अस्पताल में जाकर चल बसे।
कृष्णन के पीछे उनकी विधवा पत्नी, माँ, दो बच्चे थे। गुजारे का कोई सहारा न रहा। इस परमार्थी कलाकार के परिवार की सहायता के लिए काली कट के समाचार पत्र मातृभूमि ने सार्वजनिक सहायता की अपील छापी। तदनुसार बीस हजार रुपये इकट्ठे हो गये।
मातृभूमि के संचालक इस धन को लेकर कृष्णन की विधवा के पास गये। तो उसने वह धन उस पड़ौसी मुसलमान का जला हुआ घर बनाने तथा आजीविका के साधन जुटाने के लिए दिला दिया। और स्वयं मेहनत मजूरी करके अपना परिवार पालने लगी।