अपने वर्चस्व का घमंड न करे (Kahani)

August 1972

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सरोवर में कमल खिला। उसने अपनी गरिमा को देखा और गर्व सहित बोला-दिशाओं मेरा नमन करो-संसार में श्रेष्ठता सम्पन्न के अभिवादन का जो क्रम चला आ रहा है, क्या तुम उसे नहीं जानतीं?

कमल की गर्वोक्ति सूरज ने भी सुनी। वह आसमान से अकड़ कर चिल्लाया-दिशाओं इसके बहकावे में मत आना। वर्चस्व का स्रोत मैं हूँ। मेरे कारण ही तो यह विकसित हो सकता है।

दिशाएं हँस पड़ी उन्होंने दोनों पर व्यंग करते हुए कहा घमंडियों -वर्चस्व तुम्हारे पास नहीं। वह जहाँ है-वहाँ चुपचाप अवस्थित है उसे इस तरह अपनी गरिमा बखाननी नहीं पड़ती।


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