हिम्मत न हारिए (Kahani)

August 1972

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सेनाध्यक्ष को सूचना मिली कि शत्रु के आक्रमण की गति तीव्र हो गई है। वह अब नगर के समीप ही पहुँचने वाला है। वह विचलित हो गया और निराशा में डूब गया।

सेनाध्यक्ष की पत्नी ने भी समाचार सुना था। वह अपने पति के पास आकर गम्भीर हो गई और बोली मैंने इससे भी बुरी सूचना पाई है।

उसने घबड़ा कर पूछा-सो क्या? पत्नी ने कहा आपके चेहरे पर झलकने वाली व्यग्रता और निराशा सेना की हार से भी बुरी है। जब तक हिम्मत को नहीं हारा जाय तब तक कोई पराजय स्थायी नहीं रह सकती।


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