आत्मविश्वासी पर ही दूसरे भी विश्वास करते हैं।

August 1972

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

कहते हैं-विश्वास पर दुनिया टिकी हुई है। एक दूसरे पर विश्वास रखकर ही परस्पर का व्यवहार चल रहा है। नव वधू यह विश्वास करके चलती है कि पति उसका आजीवन साथ देगा। मित्रों और बन्धुओं पर सामयिक सहायता और सद्व्यवहार का भरोसा रखा जाता है। रुपया जमा करते समय बैंक पर विश्वास करते हैं कि जमा पूँजी सुरक्षित रहेगी। बिल्टी छुड़ाते समय यह भरोसा रखते हैं कि रेल से माल यथावत् मिल जायेगा। रेलगाड़ी पर सवार होते समय यह मान लिया जाता है कि वह बिना जोखिम यथा स्थान पहुँचा देगी। जमीन पर भरोसा करके ही बीज बोया जाता है कि वह लौटा आयेगा। बन्दूक यही मानकर खरीदी जाती है कि जब निशाना साधेंगे- गोली चलेगी और अपना काम करेगी संसार के लगभग सारे काम यह मानकर ही किये जाते हैं कि सही वस्तु पर सही रीति से भरोसा किया गया है तो उसका परिणाम भी सही निकलेगा।

किन्तु इसमें गड़बड़ी भी होती रहती है। विश्वासघात के उदाहरण सामने आते रहते हैं, दगाबाजी की, ठगी की ऐसी घटनाएं भी घटित होती रहती है जिनमें आशा के विपरीत-विश्वास के विरुद्ध परिणाम निकलता है और निराश होना पड़ता है। भले ही ऐसी घटनाएं कम हों, पर होती जरूर हैं। बेशक दुनिया का काम विश्वास के आधार पर चल रहा है- उसे अपनाये बिना कोई रास्ता भी नहीं। किसी पर विश्वास न करें- अविश्वास और शंका की दृष्टि से ही हर काम को, हर बात को हर व्यक्ति को देखें तो भी काम नहीं चलेगा।

इस विश्वास और अविश्वास के झूले में झूलती हुई दुनिया में एक ही व्यक्ति ऐसा है जिसकी वफादारी और विश्वासनीयता पर कभी उँगली नहीं उठाई जा सकती और जो कभी भी धोखा नहीं दे सकता ऐसे सच्चे मित्र का नाम है- ‘अपना आपा’ इस पर जितना भरोसा किया जायेगा उतनी ही शक्ति बढ़ेगी और दूसरे भी उसी अनुपात से अपने ऊपर भरोसा करने लगेंगे।

आत्मविश्वास से बढ़कर सुनिश्चित परिणाम और किसी का नहीं हो सकता। अपने ऊपर-अपनी सामर्थ्य पर यदि भरोसा किया जाय और यह माना जाय कि कई अभावों, कठिनाईयों के रहते हुये भी अपने में इतनी सामर्थ्य विद्यमान है कि किसी भी दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है और किसी भी झंझट से जूझा जा सकता है। अपनी क्षमता पर विश्वास न करने के कारण ही हम दूसरों की दृष्टि में दुर्बल और असमर्थ सिद्ध होते हैं।

अपनी क्षमता पर अपनी प्रामाणिकता पर अविश्वास करना-उज्ज्वल भविष्य की सम्भावनाओं से वंचित रहना है। अपने ऊपर भरोसा न करने से न आत्मबल विकसित होगा न मनोबल बढ़ेगा। मनस्वी और तेजस्वी व्यक्ति वे होते हैं जिनका आत्म-विश्वास बढ़ा-चढ़ा होता है।

कठिन प्रसंगों पर आत्म-विश्वास जितना सहायक होता है उतना और कोई नहीं। संसार के पराक्रमी व्यक्तियों का इतिहास वस्तुतः उनके मनोबल की आत्मविश्वास की गरिमा ही सिद्ध करता है। सफलता उचित मूल्य चुकाये बिना किसी को नहीं मिली। अपने ऊपर भरोसा न करने वाले लोग यह सोचते हैं हम इतना बोझ कैसे उठा सकेंगे? इतना कठिन काम कैसे कर सकेंगे? आदि निषेधात्मक आत्म-हीनता भरे विचार मनुष्य की आधी शक्ति नष्ट कर देते हैं और कल्पित आशंका प्रगति की ओर बढ़ने ही नहीं देती। सफलता मिले भी तो कैसे?

हम अपने ऊपर भरोसा करें-आत्म विश्वास करें। और नई सूझ-बूझ, नई स्फूर्ति का उन्नयन देखें। आत्मविश्वास का सत्परिणाम असंदिग्ध है। जो अपने ऊपर भरोसा करता है-दुनिया उस पर भरोसा करती है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118