ज्ञानार्जुन

February 1971

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लखड्शा नामक व्यक्ति पर युवावस्था में गृहस्थी को बोझ आ पड़ा। यद्यपि उसका मन साँसारिक झंझटों में नहीं लगता था फिर भी वह मन लगाकर कार्य करने लगा। परन्तु उस पर नित्य नये संकट आते गये। उसकी गृहस्थी उजड़ गई फिर भी वह प्रसन्न ही रहा। अन्त में सद्गुरु मिले जिनसे ज्ञानोपदेश पाकर साधना करने लगा और ज्ञानार्जुन के नाम से विख्यात हुआ।


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