एक आदमी बड़ा नास्तिक था वह कहता था कि सारा संसार स्वाभाविक है, क्रियायें प्राकृतिक अपने आप होती है। एक दिन एक लड़का एक बड़ा सुन्दर चित्र बनाकर लाया, वह आदमी उसे देखकर बड़ा प्रसन्न हुआ। उसने पूछा “यह शक्ल किसने खींची है।” तब तो लड़के ने कहा “ चाचा! मेरे ट्रेनिंग स्कूल में एक जगह एक कागज, रंगीन पेंसिलें और कलम दवात रखे थे। आप तो जानते ही है कि हर एक प्राकृतिक वस्तु में हरकत होनी स्वाभाविक है। झट अपने आप ही शक्ल खिंच गई। यह सुन वह आदमी बोल पड़ा कि यह भी कभी हो सकता है ? झट ही लड़का बोल पड़ा, यदि यह शक्ल बिना खींचने वाले के नहीं खिंच सकती तो यह संसार बिना किसी कर्ता के अपने आप नहीं बन सकता।