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February 1971

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टिमटिमाते दीपक को देखकर सूरज बोला- नन्हे बच्चे अन्धकार की शक्ति तूने देखी नहीं, अजगर है वह, निगल जायेगा तुझे, चुपचाप बैठ , जीवन नष्ट मत कर। दीपक बोला- तात! निरंतर चलते रहने का व्रत आपने नहीं तोड़ा तो मैं ही उससे विमुख क्यों होऊँ


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