जर्मनी के सम्राट फ्रेडरिक अपने दरबार में बार-बार घण्टी बजा रहे थे, पर कोई भी चपरासी उपस्थित नहीं हो रहा था। आखिरकार उन्होंने उठकर बाहर देखा कि एक चपरासी बैठा बैठा ही सो रहा है। उसके हाथ में उसकी विधवा माँ का पत्र था, जिसमें अपनी निर्धनता तथा दुःख का जिक्र किया गया था। सम्राट ने सजल नेत्रों से वृद्धा माँ का पत्र पढ़ा और चपरासी की जेब में आवश्यकतानुसार रुपये रखकर चुपचाप अन्दर चले गये।