क्या आप बतायेंगे मूर्ख कौन है और बुद्धिमान् कौन? एक बार एक मित्र ने प्रेसीडेन्ट जानसन से यह प्रश्न किया। जानसन ने सहज भाव से उत्तर दिया- जो केवल अपने अनुभवों को प्राथमिकता देता है उन्हें ही सब कुछ मानता है वह मूर्ख है। जो दूसरों के अनुभवों से भी लाभ उठाये वह बुद्धिमान्। जानसन ने इसी तारतम्य में मुस्कराते हुये कहा- और जो अपने, पराये किसी के अनुभव से लाभ न उठाये वह तो निरा पशु ही कहा जायेगा।
-हे अर्जुन! जैसे प्रज्वलित अग्नि ईंधन को भस्म कर देती है वैसे ही ज्ञानरूपी अग्नि सम्पूर्ण शुभाशुभ कर्मों को जलाकर भस्म कर देती है।
कर्म ही मनुष्य के बन्धनों का हेतु है, बन्धन दुःखों का। अस्तु ज्ञान द्वारा कर्मों को नष्ट कर दुःख से निवृत्त होकर मोक्ष रूप अक्षय आनन्द की प्राप्ति कर जीवन को सार्थक बनाना ही मनुष्य की सबसे बड़ी बुद्धिमानी है।