समाज-सेवा के आदर्श

July 1969

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बम्बई नगर की एक छः वर्षीय कुमारी ज्योत्सना वेन पटेल ने तीन व्यक्तियों को मरणोपरान्त नेत्र दान किया। इस लड़की की मृत्यु 7 सितम्बर को शहर में अस्पताल में हुई। लड़की के माता-पिता ने लड़की की अन्तिम इच्छा के अनुसार तुरन्त ही सरकारी बैंक को उसकी नेत्र दान में दे दिये। इसके फलस्वरूप दो अन्धे लड़कों की पुतलियाँ बदल दी गई तथा एक अन्य व्यक्ति की विट्यिस ट्राँस प्लाटेशन के लिये शस्य क्रिया की गई। बच्ची का यह परोपकार अमर है।

कानपुर में रामबाग मूक बधिर विद्यालय के गूँगे-बहरे छात्रों ने जीवनोपयोगी वस्तुओं के बढ़ते हुए मूल्यों को कम कराने के लिये एक सर्वथा नवीन उपाय का अवलम्बन किया है। उन्होंने अपनी एक सभा में निश्चय किया है कि उनके द्वारा बनाई गई वस्तुएँ तीन वर्ष पुराने भावों पर बेची जाये, जिससे समाज में बढ़ती हुई महँगाई की प्रवृत्ति को पनपाने वालों को एक शिक्षा प्राप्त हो सके। उन्होंने अपने इस निश्चय का मैनेजर से भी अनुरोध किया है कि वे अपने भोजन में भी स्वेच्छा से कमी करेंगे, जब तक महँगाई जारी रहेगी। इन बालकों ने अपने द्वारा बनाई गई वस्तुओं में 5 प्रतिशत तक की छूट देने का निश्चय किया है। धर्म का व्यवहारिक रूप है समाज की जितनी बने सेवा करना। धर्मात्मा बनने के लिये समाज की सेवा को कर्त्तव्य बनाना होगा।


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