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October 1940

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बदला लेने का विचार छोड़ कर क्षमा करना अंधकार से प्रकाश में आना है और जीते जी नरक की जगह सुख भोगना है।

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अपने विरोधी को अनुकूल बनाने का सब से अच्छा उपाय यही है कि उनके साथ सरल और सच्चा प्रेम करो। वह तुम से द्वेष करे और तुम्हारा अनिष्ट करे, तब भी तुम प्रेम ही करो।

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परमात्मा में विश्वास न होने ही से विपत्तियों का, विषयों के नाश का और मृत्यु का भय रहता है। जिनका उस भयहारी भगवान् में भरोसा है, वह सदा निर्भय है।

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जो ईश्वर को अपना सर्वस्व मानता है, वही असली धनवान् है। दुनिया की चीजों को अपनी सम्पत्ति मानने वाला तो सदा गरीब ही रहेगा।


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