अब श्वेतकेतु की आँखें खुल गई थीं। उसने जाना कि विश्व के समस्त ज्ञानों का मूल भगवत् परमात्मा है और वह परमात्मा मेरी आत्मा ही है।
(छाँदोग्य उपनिषद्)