सुन्दर वही है जिसका हृदय सुन्दर है। जो आकृति से बहुत सुन्दर है जिसके शरीर का रंग और चेहरे की बनावट बहुत आकर्षक है परन्तु जिसके हृदय में दुर्गुण और दोष भरे हैं वह मनुष्य वास्तव में बड़ा गंदा और कुरूप है।
शत्रु से शत्रुता करना तो बैर को दूना बढ़ाना है। बैर दूर करने का उपाय तो प्रेम है।