उत्तम ज्ञान जागृत देवता

August 1971

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

दुर्भाग्य कभी हाथ धोकर पीछे पड़ जाये, ऐसा लगे कि एक भी उपाय प्रगति पथ पर स्थिर रखने में समर्थ नहीं, सभी ओर असफलता ही असफलता, अंधकार ही अंधकार प्रतीत हो रहा हो तब तुम महापुरुषों के ग्रंथ पढ़ना, विचारों का सत्संग तुम्हारे जीवन में फिर से प्रकाश लायेगा, तुम्हारे दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने की शक्ति उत्तम ज्ञान में सन्निहित है उसे जब कभी ऐसा अवसर आये ज्ञान-देवता की ही शरण ग्रहण करना।

समस्त जातियाँ साथ छोड़ दें, मित्र, पड़ोसी और कुटुम्बी भी अपने स्वार्थ के लिए संघर्ष कर दें अथवा तुम्हें जीवन पथ पर चलने के लिए असहाय एकाकी छोड़ दें तब तुम उत्तम पुस्तकों को मित्र बनाकर आगे बढ़ना एकाकी और असह्यपन के बीच तुम्हें मौन मैत्री और प्रकाश की वह किरण मिल जायेगी जो तुम्हारा हाथ पकड़ कर तुम्हें निर्दिष्ट लक्ष्य तक पहुँचा देगी।

मन्दिर, गिरजे, मस्जिद गुरुद्वारे टूटकर खंडहर बन जाते हैं, गिरकर नष्ट हो जाते हैं। लेकिन उत्तम ज्ञान और सच्चे विचार कभी नष्ट नहीं होते। ज्ञान देवता का वरदान पाकर मनुष्य निहाल हो जाता है। ज्ञान वह सीपी है जिसमें प्रवेश कर मनुष्य का जीवन मोती बन जाता है।

-सैम्युअल स्माइल


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles