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August 1971

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धन्य हैं वे लोग जिनको इस पवित्र और लोक-प्रेम से पूर्ण धर्म का उपदेश प्राप्त हुआ है। मेरी यह प्रार्थना है कि इस ब्रह्म-ज्योति की सहायता से सब धर्म शील जन अपने ज्ञान को विशुद्ध और अविचल कर और अपने उत्साह को नूतन और प्रबल कर सारे संसार में इस धर्म के सिद्धान्तों का प्रचार करें और समस्त जगत को यह विश्वास करादें कि सबका ईश्वर एक ही है और वह अंश रूप से न केवल सब मनुष्यों में किन्तु समस्त जरायुज, अण्डज, स्वेदज, उद्धिज्ज अर्थात् मनुष्य, पशु, पक्षी, कीट, पतंग, वृक्ष और विटप सब में समान रूप से अवस्थिति है और उसकी सबसे उत्तम पूजा यही है कि हम प्राणी मात्र में ईश्वर का भाव देखें, सबसे मित्रता का भाव रक्खें और सबका हित चाहें। सार्वजनीन प्रेम से इस सत्य ज्ञान के प्रचार से ईश्वरीय शक्ति का संगठन और विस्तार करें। जगत से अज्ञान को दूर करें अन्याय और अत्याचार को रोक और सत्य, न्याय और दया का प्रचार कर मनुष्यों में परस्पर प्रीति सुख और शान्ति बढ़ायें।

-पं. मदनमोहन मालवीय


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