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Akhand Jyoti
Year 1971
Version 2
निरन्तर देता...
निरन्तर देता है, वह निर्बाध पाता है
April 1971
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Page Titles
निरन्तर देता है, वह निर्बाध पाता है
पूर्णता-प्राप्ति
गर न हुई दिल में मए इश्क की मस्ती
भगवान को भूलने की गलती
पदार्थ से शक्ति की ओर, अणु से विराट् की ओर
जीवन प्रवाह-अनादि से अनन्त तक
मदद की स्थिति में हूँ
अद्वैत आत्मा की अद्वैत अनुभूतियाँ
छुरे की धार पर नचिकेता चलेगा
कवि इकबाल
कर्म-योग संबंधी भ्रान्तियाँ और उनका निराकरण
कर्त्तव्य-पालन की दृढ़ता
शाक भाजी खाइये-अपनी बढ़ाइये
शरीर में एक और शरीर-प्राण-शरीर
साधन की कसौटी
शक्ति, प्रकाश और ब्रह्म ज्ञानदाता-अग्निदेवता
कर्मण गहनोगतिः
भावातिरेकता बढ़ने न दें
धरती माता को पागलों से केवल यज्ञ बचायेंगे
आत्मा की खेती
मन्त्र विद्या का वैज्ञानिक आधार
दस अक्षरों ने महाभारत रचाया
मृत्यु के बाद भी मनुष्य जीवित रहता है।
पिंजरा छोड़ दो, उड़ जाओ
बन्धन-मुक्ति
ईश्वर ही है मुक्ति दाता
सत्य बनाम तथ्य
खलीफा उमर
ऊपर जाने की जल्दी हो तो सिगरेट पियें
काश हम सहयोग व सहकारिता का महत्व समझते
गाँधी जी की रक्षा का दायित्व
अविवेक के कारण दुर्गति
आध्यात्मिक काम विज्ञान- 5
सफलता का श्रेय
विज्ञान और धर्म में समन्वय अनिवार्य
आज के पुण्य से कल की प्राप्ति
अपनों से अपनी बात
परिजन इन सात प्रयत्नों में आज से ही जुट जाये
सारी दुनिया नासमझ है।
दायें बायें हाथ
विदाई की घड़ी (Kavita)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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