एक बार गाँधी जी इतने थक गये कि उन्हें चारपाई पर ही नींद आ गई। रात्रि को दो बजे जब आंखें खुली तो उन्हें स्मरण हुआ कि वे रात्रि को सोने से पूर्व प्रार्थना करना भूल गये। उन्हें इसका बड़ा पश्चाताप हुआ और उनका शरीर थर-थर काँपने लगा तथा पसीने से लथपथ हो गया। प्रातःकाल लोगों के पूछने पर उन्होंने सारी बात बताते हुए कहा-जिस भगवान् की कृपा से मैं जीवित हूँ उस भगवान् को ही भूल गया, इससे बड़ी और क्या गलती होगी?