परिजन इन सात प्रयत्नों में आज से ही जुट जाये

April 1971

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विदाई सम्मेलन में आने वाले परिजनों को सात काम सौंपे जा रहे है, सो उनके लिए प्रयत्न भी अभी से आरम्भ कर देना चाहिए।

अपने क्षेत्र में भ्रमण करके अखण्ड-ज्योति युग-निर्माण योजना के सभी ग्राहकों तथा पाठकों से संपर्क स्थापित करना चाहिए और उन्हें 17, 18, 19, 20 जून के सम्मेलन में मथुरा चलने के लिए आग्रह पूर्वक आमन्त्रित करना चाहिए, साथ ही तीर्थ यात्रा, दर्शन झाँकी करने के उद्देश्य से आने वाले स्त्री बच्चे तथा ऐसे लोगों को जिनका मिशन से कोई सम्बन्ध नहीं है केवल मनोकामना पूर्ण करने के प्रयोजन से आना चाहते हैं उन्हें निरुत्साहित करना चाहिए। मिशन से परिचित, सुशिक्षित और सक्रिय महिलाओं पर यह रोक नहीं है वस्तुतः यह आयोजन हमारे अनेक उत्तराधिकारी उत्तरदायित्वों का हस्तान्तरण आयोजन है। इससे हमारे शरीर से नहीं अन्तः करण से परिचित लोगों का आना ही उचित है। ऐसे लोगों की छाँट का प्रयत्न अभी से आरम्भ कर देना चाहिए और उपयुक्त व्यक्ति अधिकाधिक संख्या में आ सकें, इसके लिए अभी से हमारे हर सहयोगी को प्रयत्नशील होना चाहिए। आगन्तुकों की स्वीकृतियाँ समय रहते मंगाली जायें ताकि ठहरने आदि की व्यवस्था की जा सकें।

इसी अवसर पर तारीख 17 जून को सामूहिक आदर्श विवाहों का आयोजन भी रखा गया है। विवाहोन्माद का उन्मूलन और आदर्श विवाहों का प्रचलन सामाजिक शान्ति की दृष्टि से अति आवश्यक और प्रमुख आन्दोलन है। इसमें हमारी गहरी दिलचस्पी है। सो चलते समय अपने हाथों बड़ी संख्या में ऐसे विवाह सम्पन्न कराना चाहते हैं। जहाँ इस वर्ष विवाह होने वाला हो उन्हें मथुरा आकर इस अवसर पर विवाह कराने के लिए तैयार करना चाहिए। इन विवाहों का मथुरा में विशाल जुलूस निकालने पत्र-पत्रिकाओं में फोटो छपाने तथा फिल्म बना कर सर्वत्र दिखाने की विशेष प्रचारात्मक तैयारी की गई है। (1) इस अति पवित्र अवसर पर हमारे हाथों विवाह सम्पन्न कराने से वर-कन्या के भावी जीवन पर पड़ने वाला सुन्दर प्रभाव। (2) सामाजिक क्रान्ति के महान् अभियान के लिए इस उत्साह वर्धक कदम द्वारा असंख्यों को अनुकरण की प्रेरणा (3) फिल्म, फोटो, जुलूस आदि अनेक माध्यमों से इस विवाहों का देश-व्यापी प्रचार तथा उपस्थित 50 हजार प्रबुद्ध एवं उत्कृष्ट व्यक्तित्वों का आशीर्वाद यह तीनों ही लाभ ऐसे ही जो किन्हीं से अवगत कराके अपने क्षेत्र से अधिक संख्या में ऐसे विवाह तैयार करने और उन्हें मथुरा लाने की प्रतिस्पर्धा सभी कर्मठ कार्यकर्त्ताओं में अभी से आरम्भ हो जानी चाहिए। बाल-विवाह, अनमेल विवाह तथा कानून झंझट वाले विवाहों की स्वीकृति न माँगी जाय।

अगले वर्ष, 250 ऐसे युग-निर्माण सम्मेलन किये जाने हैं जिनमें 6 कुण्डी गायत्री यज्ञ भी शामिल है। अब अधिक कुण्डी यज्ञों को गौण और युग निर्माण सम्मेलनों की प्रधान माने जाने की प्रथा चलेगी। इन आयोजनों के माध्यम से हर क्षेत्र में नई जागृति और नई प्रेरणा उत्पन्न की जानी है। हम शरीर से तो न जाने कहाँ होगे पर सूक्ष्म शरीर से इन आयोजनों में उपस्थित रहेंगे। इनकी सफलता निश्चित है। हमारे जाने के बाद जनता का आकर्षण कम न हो जाये इसलिए इनमें मथुरा में (1) अति आकर्षण संगीत मंडली (2) स्लाइड प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रकाश चित्रों का प्रदर्शन (3) चित्र प्रदर्शनी के तीन आकर्षण ऐसे भेजे जायेंगे जिनमें खिंच कर अपार जन समूह इन आयोजनों में उपस्थित हो सके। साथ ही यह भी योजना है कि इन आयोजनों को किफायत से सम्पन्न करके कुछ पैसा बचाया जाय और उन शाखाओं के साधनों को मजबूत बनाने के लिए (1) चल पुस्तकालय की धकेल, (2) लाउडस्पीकर, टेप रिकार्डर, रिकार्ड, (3) चित्र-प्रदर्शनी, (4) स्लाइड प्रोजेक्टर-प्रकाश चित्र, (5) सभी पवित्र यज्ञों में काम आ सकने योग्य सारा सामान तथा गीत संधान आदि जो उधार या किराये पर दिया जाता है अन्ततः एक ज्ञान मन्दिर के भवन का निर्माण जहाँ संगठन की सारी गति-विधियाँ संचालित होती रहें लगाना। इन छह प्रयोजनों के लिए कुल मिलाकर 10 हजार का बजट है। जो एक ही वर्ष में या धीरे-धीरे बचाकर हर रखा को अपने यहाँ व्यवस्था करनी चाहिए। उपरोक्त निर्माण सम्मेलनों की बचत में यह व्यवस्था एक ही वर्ष में या दो-तीन वर्षों में बन सकती है। और ऐसे आयोजन करने वाली शाखा को अपने क्षेत्र में अति महत्वपूर्ण काश उत्पन्न कर सकने वाली बनाया जा सकता है। पूरी मथुरा से प्राप्त की जा सकती है।

ऐसे युग-निर्माण सम्मेलन के लिए निमन्त्रण लेकर अनेकों उत्साही कर्मठ सदस्य आपसे तैयारी करें ताकि उन अवसर पर उनकी तिथियाँ भी निर्धारित की जा सकें।

अब सभी शाखाओं का नवीनीकरण किया जा सकता है। पुरानी शाखायें रद्द कर दी गई है। चलते समय स्थिर और कर्मठ शाखायें, वर्तमान संगठन और प्रामाणित करता हमारी दृष्टि से होगी उनकी जड़े सीखने के लिए ही हम स्वयं भेजते रहेंगे। संगठन का स्वरूप और हम अपने साथ ही प्रमाणित करके कार्यवाहकों को मुक्त करके जान चाहते हैं ताकि हम अब तक के अपने नकारात्मक प्रयत्नों का स्पष्ट स्वरूप अपनी आँखों से देखते रह सके।

अब केवल वे ही शाखा एवं अन्तरंग परिजन माने जायेंगे जिनने एक घंटा समय और दस पैसा रोज ज्ञान दान के लिये निकालने का निश्चय किया है और इन प्रयोजन के लिए निर्धारित ज्ञान घट स्थापित कर लिये हैं। सहायक वे लोग माने जायेंगे जिनने ज्ञान घट तो नहीं रखे है। पत्र पत्रिकायें तथा साहित्य रुचि पूर्वक नियमित रूप से अपना माँग कर अथवा दूसरों से माँगकर पढ़ते हैं। जिन तक अपने विचार ही नहीं पहुँचते जो मिशन से परिचित नहीं हो सके उन्हें सम्बद्ध कैसे मान जाये?

सम्मेलन में आने से पूर्व अपने क्षेत्र के सदस्यों एवं सहायकों की लिस्ट बना लेनी चाहिए और हर स्थान पर एक कर्मठ सेवा-भावी एवं लोकेषणा से बचने वाला कार्यकर्ता ‘कार्यवाहक’ निर्धारित कर लेना चाहिए। जो लोग आगे अपने यहाँ ज्ञान घट रखने को सहमत हों उनकी सूचना भी बना लेना चाहिए। इस प्रकार सर्वत्र संगठनों का नवीनीकरण करने के लिए सभी सज्जन आधार बनाकर लंबे और इस स्थापना तथा नियुक्ति का प्रमाण पत्र हमारे हाथों लेते जावे। इस युग निर्माण शाखा संगठन अपने क्षेत्र में अधिक से अधिक बन सकें इसके लिए भ्रमण करने एवं संपर्क बनाने के प्रयत्न तुरन्त आरम्भ कर देने चाहिए।

युग निर्माण विद्यालय में इस वर्ष कई महत्वपूर्ण सुधार किये गये हैं। अब (1) व्यक्ति निर्माण और समाज निर्माण को आगामी वर्ष देश व्यापी शिक्षण व्यवस्था चलाने का जो प्रबन्ध किया जा रहा है। उसका परिपूर्ण अध्यापन, शिक्षण, छात्रगणों की सम्पन्न करा दिया जायेगा। (2) व्यायाम, खेलकूद, शास्त्र विद्या, भाषण, संगठन एवं साँस्कृतिक कार्यक्रम नियोजित कर सकने की योग्यता उन में उत्पन्न कर दी जायेगी। (3) स्वावलम्बन की दृष्टि से (अ) बिजली का फिटिंग यन्त्रों की मरम्मत रेडियो ट्राँजिस्टर (ब) प्रेस व्यवसाय का समुचित शिक्षण, कम्पोज, छपाई, बाइंडिंग, रबड़ की मुहरें आदि की प्रेस सम्पादन एवं संचालन योग्यता (स) कला भारती के अंतर्गत संगीत, गायन, अभिनय, प्रकाश चित्र प्रदर्शन आदि की शिक्षा, इन तीनों का कार्य नियमित रूप से चलेगा। सप्ताह में एक दिन गृह उद्योग तथा लघु उद्योग विशेष रूप से सिखाये जाया करेंगे। इस प्रकार अब यह प्रशिक्षण गत वर्षों की अपेक्षा भी अधिक महत्वपूर्ण बना दिया गया है। प्रयत्न यह कना चाहिए कि ऐसे प्रतिभाशाली छात्र अपने क्षेत्र से भेजे जाये जो इस शिक्षा का उस क्षेत्र में भी प्रसार करके नव-निर्माण एवं जन जागरण की पृष्ठभूमि बना कसें। उनके गुण, कर्म, स्वभाव का जितना आशाजनक परिष्कार होता है उस दृष्टि से किसी छात्र को एक वर्ष फेल होने जैसा जोखिम उठाकर भी उसे इस शिक्षा में भेजा सा सकता है। ऐसे छात्र अभी से तैयार करने चाहिए और उनके लिए नियम एवं आवेदन फार्म मथुरा से मँगाकर दाखिला जल्दी ही करा देना चाहिए ताकि 1 जुलाई से आरम्भ होने वाले शिक्षण में अड़चन न पड़े। हर साल स्थान की कमी के कारण आधे से अधिक छात्रों को निराश रहना पड़ता है। जल्दी चले आने वाले ही लाभ में रहते हैं।

इस वर्ष स्वीकृति प्राप्त छात्रों की समारोह में भी लाया जा सकता है। ताकि वे 15 दिन पूर्व आकर इस अनुपम आयोजन से सम्मिलित रहने, स्वयंसेवक का काम करने तथा दाखिल एवं आशीर्वाद हमारी उपस्थिति में उपलब्ध करने का भाव ले सकें।

6.अगले वर्ष हर शाखा में दो घन्टे को रात्रि पाठशालाएं चलनी है जिनमें 6-6 महीने के प्राथमिक एवं उच्च स्तरीय पाठ्य-क्रम चला सकेंगे। परीक्षा लेने एवं प्रमाण पत्र देने का भी क्रम रहा करेगा। बौद्धिक, नैतिक एवं सामाजिक क्राँति के व्यक्ति और समाज निर्माण के सारे तत्व इस शिक्षा पद्धति में मौजूद हैं। दो पुस्तकें प्राथमिक कोर्स की और दो पुस्तकें उच्च स्तरीय कोर्स की हैं जो बनकर तैयार हैं। मूल्य प्रत्येक पुस्तक का पृष्ठ संख्या की दृष्टि से अति सस्ता- दो-दो रुपया मात्र है। अपने यहाँ हर शाखा को इन पाठशालाओं को आरम्भ करने की योजना बनाकर आना चाहिये। स्थान, अध्यापक सम्भावित छात्र आदि की रूपरेखा बनाकर आयें तो न पाठशालाओं की स्थापना की उद्घाटन मथुरा में उस आयोजन के समय पर को देखते हुये हर शाखा को उसका प्रबन्ध करने के लिये आग्रह पूर्वक निर्देश किया गया है।

7.अपना देश 76 प्रतिशत अशिक्षित एवं 78 प्रतिशत देहातों में रहने वाला है। उस तक नव जागृति का सन्देश मात्र साहित्य के आधार पर नहीं पहुँच सकता इसके लिए दृश्य और श्रवण के ऐसे आकर्षण अभीष्ट होगे जो आकर्षण हो और श्रवण के ऐसे आकर्षण अभीष्ट होगे जो आकर्षण हों और यहाँ के बौद्धिक स्तर के लिए समझे जा सकने योग्य हों। इस दृष्टि से संगीत गायन को महत्व दिया गया है और उसे पूरी शक्ति के साथ उभारने के लिये कदम बढ़ाया गया है। अगले वर्ष 4 स्टेशन बेगनें (बड़ी जीप गाड़ियां) इस स्तर की आवश्यक साज-सज्जा के साथ देश व्यापी कार्यक्रमों पर भेजे जाने की व्यवस्था बना ली गई है। इन दोनों में काम करने के लिए तीखे और मधुर गले वाले गायकों एवं हारमोनियम, तबला, क्लारनेट, वंशी, बैंजो, प्रभृति साज बना सकने वाले कला प्रेमियों का आमन्त्रित किया गया है। उनको थोड़े शिक्षण प्राप्त करके प्रचार मंडलियों में भेजा जायेगा और उनके वेतन की तो नहीं पर निर्वाह की व्यवस्था भी की जायगी। इस संदर्भ में रुचि एवं योग्यता रखने वाले को मथुरा से संपर्क बनाने के लिये कहा जाना चाहिए।

इस संदर्भ में अभी-अभी कई संगीत नाटिकाएँ तथा कविता पुस्तकें साहित्यिक हिन्दी में छापी गई है। आगे इस क्रम को और भी तेजी से बढ़ाया जायेगा और अनेक काव्य पुस्तकें लिखी और छापी जायेंगी। प्रारम्भ हिन्दी भाषा से किया गया है। पर चूँकि हमारा लक्ष्य अशिक्षित और देहात में रहने वाला वर्ग ही है, तो उसके लिए प्रान्तीय एवं क्षेत्रीय भाषाओं में भी इन कविताओं के अनुवाद कराये जायेंगे। इन संदर्भ में हिन्दी तथा प्रान्तीय क्षेत्रीय भाषाओं में अच्छी कविताएं लिख सकने वाले प्रतिभावान व्यक्तियों को आमन्त्रित किया जा रहा है। उनके लिये 5 से 14 जून तक 10 दिन का परामर्श शिविर लगाया जा रहा है। कुछ उपन्यास भी लिखाने हैं सो उस स्तर के साहित्यिकों को भी इसमें सम्मिलित किया जायगा। गायकों और वादकों का चुनाव भी इन्हीं दिनों कर लिया जायेगा। सो उपरोक्त प्रयोजन पूरा कर सकने की क्षमता रखने वाला अपने परिवार के परिजन 5 से 15 जून के शिविर में आने की तैयारी करें। ऐसे लोगों तक सूचना सन्देह पहुँचाने का कार्य अपने कार्यकर्तागण पहुँचाना आरम्भ कर दें। उपरोक्त सात कार्यक्रम अपने सभी कर्मठ कार्यकर्ताओं के सम्मुख अभी से प्रस्तुत कर दिये गये हैं ताकि जो दो मास का समय शेष हैं उसमें इन्हें अधिक से अधिक समय देकर तथा पूरी तत्परता केंद्रीय करके अधिक सफलतापूर्वक सम्पन्न कर सकें। समारोह के अवसर पर हर सक्रिय कार्यकर्ता से पूछा जायगा कि उसने इस सात संदर्भों में क्या किया और कितनी सफलता पाई, सो उनको उत्तर समय पर उत्साह वर्धक बन पड़े इसकी रूपरेखा अभी से मस्तिष्क में समाना चाहिए। सम्भव हो सके तो इन दो महीने में हर सप्ताह अपने प्रयत्नों की सूचना रिपोर्ट मथुरा भेजते रहे सकते हैं ताकि कहाँ क्या हो रहा है? कौन क्या कर रहा है? यह जानने की हमारी उत्सुकता को थोड़ा समाधान मिलता रहे।

आशा है इन सोचे हुए कार्यों का महत्व समझा जायेगा और इन्हें पूरा करने के लिए अधिक गम्भीरता एवं तत्परता पूर्वक हर परिजन द्वारा परिपूर्ण प्रयत्न किया जायगा। यह तत्परता इन विदाई के भाव भरे क्षणों में हमें उत्साह एवं सन्तोष प्रदान कर सकने का एक महत्वपूर्ण आधार बनेगी।


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