दोनों ही घृणित (kahani)

June 2003

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ज्ञान और धन दोनों में एक दिन अपनी श्रेष्ठता के प्रतिपादन पर झगड़ा उठ खड़ा हुआ। दोनों अपनी-अपनी महत्ता बताते और एक-दूसरे को छोटा सिद्ध करते थे। अंत में निर्णय के लिए वे दोनों आत्मा के पास पहुँचे।

आत्मा ने कहा, तुम दोनों कारण मात्र हो, इसलिए श्रेष्ठ बात ही तुममें क्या है? सदुपयोग किए जाने पर ही तुम्हारी श्रेष्ठता है, अन्यथा दुरुपयोग होने पर तो तुम दोनों ही घृणित बनकर रह जाते हो।


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