Loading...
All World
Gayatri Pariwar
Get App
Books
Magazine
Language
English
Hindi
Gujrati
Kannada
Malayalam
Marathi
Telugu
Tamil
Stories
Collections
Articles
Open Pages (Folders)
Kavita
Quotations
Visheshank
Quick Links
Book Catalog
Whats New
Downloads
Write to Us
Login
Akhand Jyoti
Year 2003
Version 2
Quotation
Quotation
June 2003
Read Scan Version
<<
|
<
|
|
>
|
>>
परमेश्वर का प्यार केवल सदाचारी और कर्त्तव्यपरायणों के लिए ही सुरक्षित है।
-परमपूज्य गुरुदेव
<<
|
<
|
|
>
|
>>
Write Your Comments Here:
Page Titles
गंगा-गायत्री
चंचल हि मनः कृष्ण प्रमाथि बलवद्दृढम्
दूर, बहुत दूर से प्रवाहित होकर (kahani)
जीवन-साधना के स्वर्णिम सूत्र
एक बार विद्यार्थी कपिल संदेह में (kahani)
पहले सच्चे शिष्य बनो
Quotation
चाहिए आचार्य शंकर जैसा मस्तिष्क एवं बुद्ध जैसा हृदय
रोम-रोम पुलकित (kahani)
एक सद्विप्रा बहूना वदन्ति
बूँदों के समान वंशलोचन (kahani)
श्रद्धा की परिणति
भावना का परिचय (kahani)
विज्ञान का सराहनीय सृजनात्मक योगदान
परमात्मा के युवराज को यह शोभा नहीं देता
बुढ़िया चरखा कातने लगी (kahani)
मनुष्य के मूल्याँकन की कसौटी बदलनी होगी
स्रष्टा का यह लीलाजगत सुनियोजित, सुव्यवस्थित है।
महाशक्ति गायत्री का धरा-धाम पर अवतरण
साधु अपने रास्ते आगे बढ़ गए (kahani)
अंतः की हूक बनती है प्रार्थना
रुकूँगा तो इधर-उधर भटकूँगा (kahani)
इक्कीसवीं सदी की चिकित्सा पद्धति : आयुर्वेद
दुर्जन मनुष्यों की मनुहार (kahani)
संक्राँतिकाल में उभरकर आ रहा है आध्यात्मिक समाजवाद
चरित्र-निर्माण प्रधान शिक्षापद्धति विकसित करनी होगी
तेजी से बिखेरना (kahani)
आयुर्वेद-4 - बंध्यत्व निवारण हेतु यज्ञोपचार प्रक्रिया
परमपूज्य गुरुदेव की अमृतवाणी - अभिभावक हैं तो उत्तरदायित्व भी
Quotation
दोनों ही घृणित (kahani)
अंतर्जगत की यात्रा का ज्ञान-विज्ञान - योग साधना में ‘अभ्यास’ का महत्त्व
सिद्धपुरुष हो गए (kahani)
गुरुगीता-11 - शंकररूप सद्गुरु को बारंबार नमन
VigyapanSuchana
युगगीता-44 - ज्ञानीजन क्षणिक सुखों में रमण नहीं करते
VigyapanSuchana
चेतना की शिखर यात्रा-16 - बलिहारी गुरु आपुनो-4
गुरुकथामृत - 44 - सिवसक्ति के जनमौं नाँहि, तबै जोग हम सीखा
Quotation
अपनों से अपनी बात-1 - समाज का नवनिर्माण शिक्षा एवं कला में सुधार से होगा
VigyapanSuchana
अपनों से अपनी बात-2 - आद्यशक्ति गायत्री का अवतरण पर्व उल्लास के साथ मनाएं
आदेश प्रदान किया (kahani)
क्लीव न हम कहलाएँ (kavita)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
See More