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November 2001

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विश्व धर्म प्रसार यात्रा में भागीदारी

इस वर्ष काँची कामकोटी पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती के शुभाशीष से प्रारंभ हुई विश्व धर्म प्रसार यात्रा में शाँतिकुँज की भी भागीदारी रही। यह यात्रा 15 अगस्त, 2001 को छतरपुर नहीं दिल्ली के विशाल आडिटोरियम से एक विशाल धर्म सभा के रूप में आरंभ हुई। शक्ति मंदिर के भव्य मार्कंडेय हॉल में विश्व हिन्दू परिषद (ओवरसीज) के श्री भूपेंद्र कुमार मोदी, श्री विष्णु नरहरि डालमिया तथा मानव संसाधन विकास मंत्री श्री मुरली मनोहर जोशी की उपस्थिति में सतगुरु जगजीत सिंह जी को धर्मरत्न की उपाधि के सम्मानित किया गया। साध्वी ऋतंभरा, डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं भंते ज्ञान जगत् के उद्बोधन हुए तथा इस प्रकार सभी को यहाँ से विदाई दी गई। यहाँ से यह यात्रा त्रिनिदाद, सूरीनाम होते हुए अमेरिका पहुँची, जहाँ मियामी (फ्लोरिडा) तथा अटलाँटा (जार्जिया) के बाद साध्वी ऋतंभरा, जगद्गुरु शंकराचार्य भानपीठाधीश्वर श्री दिव्यानंद जी तीर्थ तथा परमार्थ निकेतन के श्री मुनि चिदानंद सरस्वती जी के साथ डॉ. प्रणव पण्ड्या के उद्बोधन विराट धर्म सभाओं में वाशिंगटन डीसी, टोरोंटो तथा शिकागो में भी हुए। प्रत्येक स्थान पर हिन्दू, सिख, जैन, बौद्ध सभी समुदायों का एक साथ उपस्थित रहना एक बहुत बड़ी उपलब्धि थी। प्रवासी परिजनों ने देवसंस्कृति के गौरव को जाना एवं नई पीढ़ी के लिए धर्म-धारणा के विस्तार की रूपरेखा संत समुदाय से सुनी, आत्मसात की।

पहला विश्वस्तरीय गायत्री चेतना केन्द्र लेस्टर यू. के. में खुला

परमपूज्य गुरुदेव की इच्छा थी कि जिस तरह गायत्री शक्तिपीठों की एक सुव्यवस्थित आधारशिला भारत में रखी गई है, उसी तरह विश्व के अन्य देशों में भी ऐसे केन्द्र बनें। वे उनका नाम परंपरागत शक्तिपीठों से अलग ‘गायत्री चेतना केन्द्र’ (सेंटर फॉर गायत्री कान्शसनेस) रखना चाहते थे। उन्हीं की इच्छानुसार परिजनों ने प्रयास किया, घर-घर ज्ञानघट रखे गए एवं एक चार मंजिली इमारत लेस्टर शायर इंग्लैण्ड की रेंडेल रोड पर खरीद ली गई। लेस्टर के मेयर के मेयर जॉन एलन की उपस्थिति में डॉ. प्रणव पण्ड्या ने 27 अगस्त को इसको लोकनिर्माण किया। लेस्टर इंटरफेथ कौंसिल के रेशमसिंह संधु, प्रवासी परिजन एवं ढेरों ब्रिटिश नागरिक इस कार्यक्रम में उपस्थित रहे। इस केन्द्र में मूलतः 8 वर्ष में 25 वर्ष के बालकों को लक्ष्य में रख योग-साधना, ध्यान, भाषा प्रशिक्षण, बाल संस्कारशालाएं आयुर्वेद एवं वैकल्पिक चिकित्सा तथा भारतीय चिकित्सा का सर्वांगपूर्ण प्रशिक्षण जैसे कार्य चलेंगे। इसमें लगभग दस बड़े कक्ष हैं एवं विधिवत शिक्षण आरंभ हो गया है। इसी तरह न्यूजर्सी (अमेरिका) की फ्रैंकलिन नगरी में भी छह एकड़ का एक प्लाँट वाजपेय यज्ञ के अनुयाज के रूप में ऐसा ही चेतना केन्द्र बनाने के लिए खरीद लिया गया है। शिकागो के परिजन भी स्थान देख चुके हैं। एक वर्ष के अंदर ये दोनों केन्द्र बन जाएंगे।

विराट महिला जाग्रति सम्मेलनों की शृंखला आरंभ

राष्ट्रव्यापी महिला सशक्तीकरण अभियान की कड़ी में इस हीरक जयंती वर्ष में अब, लगभग पच्चीस वर्ष बाद पुनः एक अक्टूबर 2001 से सारे देश में विराट महिला जाग्रति सम्मेलनों की एक शृंखला आरंभ हुई है। ब्रह्मवादिनी बहनें, जिन्हें स्वयं श्रद्धेय शैली दीदी ने प्रशिक्षण दिया है, अब आँवलखेड़ा तथा हरिद्वार के महापूर्णाहुति कार्यक्रमों के बाद नारी जागरण का शंखनाद करती उत्तरप्रदेश, बिहार, झारखंड, पं. बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश में भी दिखाई दे रही है। छह बहनों, दो अभिभावक एवं एक वाहन चालक के साथ ऐसी तीन टोलियाँ नारी जागरण पर केंद्रित प्रदर्शनी के साथ 30 सितंबर की प्रातः शाँतिकुँज नारी जागरण पर केंद्रित प्रदर्शनी के साथ 30 सितंबर की प्रातः शाँतिकुँज से रवाना हो गई। इससे पूर्व 29 सितंबर को एक भव्य समारोह में उन्हें विदाई दी गई।

तिरूपति अश्वमेध महायज्ञ एवं झटीकरा (दिल्ली) में प्राण प्रतिष्ठा, एक सौ आठ कुँडी यज्ञ का प्रयाज

इस वर्ष दो बड़े आयोजन प्रस्तावित किए गए थे। एक पूरे उत्तर व दक्षिणी भारत को एक केन्द्र तिरूपति बालाजी में आमंत्रित कर 23, 24, 25, 26, 27 दिसंबर 2001 की तारीखों में छह वर्ष बाद पहला अश्वमेध महायज्ञ तथा दूसरा झटीकरा (बाहरी दिल्ली) में ग्रामीण महाशक्ति एवं दुर्गा माता, राधाजी, कृष्ण जी की मूर्ति की 27, 28, 29, 30 नवंबर की तारीखों में प्राण प्रतिष्ठा। पिछले दिनों प्रयाज के क्रम में यहाँ कलश स्थापना, कार्यालय की स्थापना व वरिष्ठ कार्यकर्त्ताओं के सघन दौरे संपन्न हुए।

प्रज्ञा अभियान एवं अखण्ड ज्योति अब वेब पृष्ठ पर भी

गायत्री परिवार की आधिकारिक वेबसाइट GayatriPariwar.org पर अब अखण्ड ज्योति पत्रिका के पृष्ठ एवं प्रज्ञा अभियान पाक्षिक हिन्दी में सभी पढ़ सकते हैं। इस वेबसाइट पर नवीनतम गतिविधियों को देने का क्रम भी अपडेटिंग के साथ चालू है।

आयुर्वेदिक अनुसंधान केन्द्र का औषधि निर्माण केन्द्र गायत्री कुँज में

विश्वविद्यालय निर्माण की प्रक्रिया से गुजर रहे गायत्री कुँज में महाविद्यालय तो आरंभ हो ही गया है, साथ ही आयुर्वेद के विज्ञानसम्मत अनुसंधान हेतु एक विराट फार्मेसी व अनुसंधान केन्द्र का निर्माण व विधिवत शुभारंभ भी हो गया। अब एक वर्ष के अन्दर ऊं के आकार का एक भवन बनकर तैयार हो जाएगा, जहाँ विधिवत प्रशिक्षण तंत्र आधुनिक यंत्रों से सज्जित प्रयोगशाला एवं आडिटोरियम भी बन जाएंगे, जहाँ से स्वास्थ्य प्रबंधन के कोर्स चलेंगे। 2003 से इनके आरंभ होने की संभावना है।


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