अवंतिका बाई के पति मुँबई में मशीनों की दुकान मे काम करते थे। गुजारा ठीक चलता था, पर उनके हाथ की एक उँगली मशीन में कट गई थी। उनने प्रेरणा देकर पत्नी को नर्स की ट्रेनिंग कराई और स्वावलंबी तथा सुसंस्कारी बनाने में कोई कमी न रखी। नर्स की नौकरी करने के उपराँत भी अवंतिका बाई ने देश सेवा के कार्यों में भाग लेना शुरू किया और वे मुँबई में अनेकों महिला कार्यकर्त्री उत्पन्न करने में सफल रहीं।
वे गाँधी जी के स्वतंत्रता आँदोलन में सम्मिलित हुईं और नौ महीने की जेल काटी। गाँधी जी ने चंपारन सत्याग्रह में महिला संपर्क के लिए उन्हें विशेष रूप से बुलाया था।
मुँबई जाकर उन्होंने ‘भारतीय महिला समाज’ की स्थापना की और प्रौढ़ महिला शिक्षा तथा कुरीति उन्मूलन के लिए विशेष प्रयत्न किया एवं मुँबई कारपोरेशन की सदस्या चुनी गईं। उनकी सार्वजनिक सेवाओं से मुँबई का बच्चा-बच्चा परिचित और प्रभावित था।
यह सब काम उन्होंने गृहस्थ के उत्तरदायित्व निभाते हुए पूरे किए और उदाहरण प्रस्तुत किया कि गृहस्थ में रहते हुए भी नारी बहुत कुछ कर सकती हैं। यह उनके पति के सहयोग से ही संभव हुआ।