भाषा पर गर्व (Kahani)

December 1996

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मिदनापुर में स्वामी विवेकानन्द की अंग्रेज शिष्या भगिनी निवेदिता का भाषण हो रहा था । मंत्रमुग्ध जनता उपदेशामृत पान करने में तल्लीन थी तभी भाषण से प्रसन्न हो कुछ युवकों ने हिप हिप’ का उद्घोष किया। भगिनी निवेदिता ने भाषण के बीच में ही उन्हें डाँटकर कहा -” चुप रहो, तुम्हें अपनी भाषा का जरा भी गर्व नहीं है।? काया तुम्हारे पिता अंग्रेज थे? क्या तुम्हारी माँ चमड़ी यूरोपियन थी? अंग्रेज की नकल करते लज्जा क्यों नहीं आती?”


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