अपनों से अपनी बात - अब आशा की एक ही किरण बाकी रह गयी है।

December 1996

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आस्था-संकट की इस बेला में, आसन्न विभीषिकाओं से छाए घटाटोप में उजियारे की किरण एक ही दिखाई पड़ती हैं भारतीय संस्कृति, देव संस्कृति का तर्क सम्मत, विज्ञान सम्मत स्वरूप आज जब पाश्चात्य सभ्यता हमारी मूलभूत आस्थाओं पर तेजी से कुठाराघात करती देखी जा रही है, साँस्कृतिक प्रदूषण कैबल नेटवर्क के माध्यम से , इन्फार्मेशन टेक्नालॉजी के माध्यम से घर-धर में, हर परिवार के ड्राईंग रूम- बेड रूम में प्रविष्ट होता जा रहा है, मूल्यों की गिरावट, मार्गदर्शक कहे जाने वाले, नेतृत्व करने वालों के चिंतन-चरित्र, व्यवहार में जमीन-आसमान का अंतर एक ही तथ्य का द्योतक है कि अब आशा कही से शेष है तो वही से जहाँ से भावनात्मक परिष्कार के साँस्कृतिक नवोन्मेष के बीजाँकुर प्रस्फुटित हो सकने की सम्भावना साकार हो सकती हैं एवं वह हैं प्रगतिशील संवेदना मूलक धर्मतंत्र। तनद

इसी मूल धुरी पर परमपूज्य गुरुदेव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी का समग्र जीवन, मिशन एवं सर्वांगीण दर्शन टिका हुआ है। गायत्री परिवार के समस्त वर्तमान के क्रियाकलापों,भावी निर्धारणों को इसी धुरी के चारों ओर घूमता देखा जा सकता है जब तब प्रसुप्त संस्कार जगाए नहीं जाएँगे-देवत्व के उभरने हेतु साँस्कृतिक क्रान्ति द्वारा एक वातावरण विनिर्मित नहीं होगा, सतत् असुरता ही हावी रहेगी। समय की इस आवश्यकता को समझते हुए ही गायत्री रूप सद्ज्ञान एवं यज्ञ रूपी सत्कर्म के दो आधार स्तम्भों पर टिकी देव संस्कृति को विश्वव्यापी बनाने हेतु ‘देव संस्कृति दिग्विजय’ अभियान का शुभारम्भ किया गया शांतिकुंज स्थित उज्ज्वल भविष्य की गंगोत्री-इक्कीसवीं सदी का गोमुख कही जाने वाली महाकाल की दैवी चेतना का इन दिनों एक ही उद्घोष है’ “संस्कारों का अभिनव परम्परा का पुनर्जागरण”।तनद

संस्कार महोत्सवों के द्वारा आश्वमेधिक दिग्विजय अभियान को आगे बढ़ाते हुए यह कार्य सम्प्रति नवम्बर, 16 से आगामी एक वर्ष तक भारत के उन सुदूर अंचलों में संपादित करने का निर्णय लिया गया, जहाँ अभी गायत्री परिवार ही नहीं, अन्यान्य संस्थाओं का प्रभाव भी स्थापित नहीं हो पाया हैं श्रेष्ठ लक्ष्य के लिए साथ जुड़ी ऐसी संस्थाओं यशा-रामकृष्णा मिशन, विवेकानन्द केन्द्र, भारत सेवा प्रकल्प, वनवासी कल्याण परिषद, श्री अरविंद आश्रम को साथ लेकर गायत्री परिवार वनवासी कल्याण परिषद, श्री अरविंद आश्रम को साथ लेकर गायत्री परिवार अब नेपाल सहित उत्तरी, दक्षिण में संस्कार महोत्सवों का आयोजन करने को सन्निद्ध हो आगे बढ़ रहा हैं इस क्रम में अभी-अभी अल्मोड़ा (कूर्माचल) में एक भव्य संस्कार महोत्सव 108 कुण्डी यज्ञ के साथ संपन्न हो चुका है (23 से 26 अक्टूबर) तथा ऐसे ही आयोजन भद्रकाली (हुगली प. बंगाल), तिनसुकिया/ दुलियाजन एवं दुर्गपुर (पं. बंगाल) बुहत्तर मुम्बई नवी मुम्बई (महाराष्ट्र), जोरथाग, गंगटोक, सिक्किम जनकपुर, विराट नगर, गंगटोक, सिक्किम जनकपुर, विराट नगर, वीरगंज, नेपालगंज, नवलपरासी (नेपाल) ईटानगर (अरुणाचल), शिरपुरकागज-खम्मम, एलेन्दू, चिराला, हैदराबाद, विशाखापट्टनम (आँध्रप्रदेश), बैंगलोर (तमिलाडु) में सम्पन्न करने की योजना है।

इन सभी स्थानों पर कार्यकर्त्ताओं को विराट परिमाण मैं तैयार करने के साथ साँस्कृतिक गौरव के प्रति जागरुकता लाने का कार्य तेजी से हाथ में लिया जा रहा हैं बाद में वातावरण विनिर्मित होने पर कन्याकुमारी, तिरुअंनंतपुरम, कोचीन, कोयम्बटूर, शोलापुर, कोल्हापुर, जम्मू अमृतसर, काँगड़ा, कोल्हापुर, जन्मु अमृतसर, काँगड़ा, चम्बा, पिथौरागढ़ आदि स्थानों पर भी ऐसे ही कार्यक्रम सम्पन्न किये जपजसम मज जाते रहेंगे। समानांतर स्तर पर एक और किया जा रहा है जो अभी महानगरों एवं विश्वस्तर पर बड़े स्थानों पर इस वर्ष सम्पन्न होगा। इनमें प्रधानता ‘ज्ञानयज्ञ’ प्रधान कार्यक्रम को दी गयी है, वीडियो, लेकर प्रोजेक्शन के द्वारा भारतीय संस्कृति का विज्ञानसम्मत प्रदर्शन प्रमुख होगा। इस माध्यम से हम युवा पीढ़ी को पढ़े -लिखे कहे जाने वाले समुदाय को आध्यात्म के विज्ञानसम्मत स्वरूप के प्रस्तुतीकरण से पुनः अपनी जड़ों से जोड़ा जा सकेगा। वीडियो द्वारा हिमालय रूपी दैवीचेतना की, ऋषि सत्ताओं की कार्य स्थली की,ऋषि सत्ताओं की कार्य स्थली का प्रस्तुतीकरण भी इसमें किया जाएगा। देवात्मा हिमालय की प्रतिभा भी इनमें विनिर्मित की जाएगी तथा इसके पूरे सौंदर्य को, उसकी पवित्रता व पर्यावरण

बनाए रखने के उद्देश्य से प्रस्तुत किया जाएगा। ऋषि परंपरा से लेकर प्रतीकवाद बहुदेववाद एवं देव संस्कृति द्वारा आज की समस्त समस्याओं का समाधान इन विराट ज्ञानयज्ञों का मुख्य लक्ष्य होगा। इनमें सवा लक्ष वेदी दीपयज्ञ भी संस्कारों के साथ सम्पन्न होंगे। प्रथम कार्यक्रम इसी कड़ी का वृहत्त मुम्बई में चर्चगेट क्षेत्र में सुन्दर बाई हाल व गिरगाँव चौपाटी पर आयोजित हैं। यह 22 से 26 जनवरी 1997 की तारीखों में हो रहा है बाद भी होंगे विदेश में न्यूजर्सी अमेरिका के रैरीटन सेण्टर एडीसन में 11 से 14 जुलाई एवं एलेक्जेण्ड्र पैलेस लन्दन यू. के. में 31 जुलाई से 3 अगस्त की तारीखों में इसी स्तर के कार्यक्रम प्रस्तावित हैं आशा की जानी चाहिए कि इन माहैतसपो से उज्ज्वल भविष्य का पथ प्रशस्त करना निश्चित ही सम्भव हो सकेगा।


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