तीन तस्वीरें (Kahani)

December 1996

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

एक चित्रकार ने तीन तस्वीरें बनाई। एक सोच में पड़ा था। दूसरा हाथ मल रहा था। तीसरा सिर धुन रहा था। पूछने पर चित्रकार ने बताया कि यह तीनों एक ही आदमी की तीन स्थितियों के चित्र है विवाह से पूर्व यह कल्पना लोक में उड़ता है और कहा से वैसी सुन्दर पत्नी हाथ लगे, इस सोच में बैठा रहता है। दूसरा चित्र विवाहित का है गृहस्थ जीवन में जो जिम्मेदारियां आती है और जिन समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उस जंजाल को देखकर हाथ मलता है कि इतना झंझट मोल ले लिया। तीसरा चित्र उस स्थिति का है , जिसमें सभी का वियोग और विरोध वास देता है तथा संतान दुःख देती है तब आदमी सिर पीटता है और सोचता है कि हमारे भाग्य ऐसे फूटे है कि अपने पैरों अपने हाथ लग सके तो गृहस्थ धर्म में रहते हुए हर दृष्टि से आदर्श जीवन जिया जा सकना सम्भव है । ऐसे उत्कृष्ट एवं अनुकरणीय बनो, जो स्वयं को तो श्रेय पथ पर ले जाने वाला हो ही , सारे सहयोगियों का हित साधन भी कर सकें।

गृहस्थ जीवन में अनेकों जिम्मेदारियाँ कंधे पर आती हैं कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है पर इनसे घबराने से लाभ क्या? कभी-कभी जीवन -साथी से भी इसका समाधान मिल जाता है। सेठजी जब घर में आते तो तिल का तोड़ बनाते । घर के सभी लोगों को विशेषतया पत्नी को असमंजस में डाल देते। यह एक प्रकार से उनकी आदत बन गई थी।

पत्नी ने उनका चिंतन सुधारने लिए एक नाटक रचा। चारपाई पर रोनी सूरत बनाकर पड़ गई । घर का कोई काम न किया। दुकान पर से सेठजी आये, वे भी चिन्तित हुए और कारण पूछा। पत्नी ने कहा- “ आज एक पहुंचे हुए ज्योतिषी आये थे हाथ देखकर बता गये है कि तू साठ वर्ष तक जियेगी और आठ बच्चे होंगे। सोच रही हूं कि साठ साल में कितना अनाज खा जाऊंगी। बच्चों के प्रसव की कितनी पीड़ा निकल जाएगा।

सेठजी ने झिड़का और कहा-” इतना सब एक दिन में थोड़े ही होगा। समय के साथ आने और खर्च होने का काम चलता रहेगा। तू व्यर्थ चिन्ता करती है।

अब स्त्री की बन आई। उनके कहा-” तुम भी तो रोज भविष्य की चिन्ता ही मुझसे कहते हो । इतनी जिम्मेदारियां निभाने को पड़ी , उन्हें पूरा करना तो दूर तुम प्रयास नहीं करते । यह क्यों नहीं कहते कि समयानुसार समस्याओं के हल भी निकलते रहेंगे।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118