मेरी और टॉमस का दाम्पत्य जीवन (Kahani)

December 1996

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जब पति व पत्नी आपस में घुल-मिलकर रहते हैं तो घर स्वर्ग नजर आता है चारों ओर आनन्द ही आनन्द संव्याप्त होता है परिस्थितियां चाहे कितनी ही विषम क्यों न हो।

मेरी और टॉमस का दाम्पत्य जीवन अनन्त प्रेम से भरा-पूरा था। हर वर्ष का विवाहोत्सव मनाते और छोटा-मोटा उपहार उस दिन एक दूसरे को भेट करते , गरीबी में जो दिन काटते थे।

उस वर्ष का विवाह दिन फिर आया। दोनों एक−दूसरे के लिए उपहार देना की योजना बनाने लगे पर जेबें बिल्कुल खाली थी।

टॉमस ने अपनी पत्नी के सुनहरे बालों के लिए एक सुनहरी क्लिप खरीदने की बात सोचीं मेरी सोचने लगी, पति की हाथ की घड़ी के लिए सुनहरी चेन खरीदी जाए दोनों के मनोरथ मन में थे। साधन जुट नहीं रहा था दिन निकट आ गया।

टॉमस पुरानी घड़ी खरीदने वाले की दुकान पर गया और घड़ी बेचकर बदले में सुनहरी क्लिप खरीद लाया। मन में बहुत प्रसन्नता थी।

मेरी क्या करती, वह सुनहरे बाल खरीदने वाले की दुकान पर गयी ओर अपने घुंघराले बाल कटाकर मिले पैसे से घड़ी चेन खरीद लायी। सिर पर टोपा लगा लिया।

दिन आया उपहार देने के लिए । एक दूसरे की ओर हाथ बढ़ाया । क्लिप हा लगे बाल नदारद । चेन कहा बंधे घड़ी गायब। पूछने पर तथ्य खुला शोभित न हो सकने पर भी इन उपहारों ने एक दूसरे का दिल सदा-सदा के लिए जीत लिया। दोनों की आंखों में प्रेम के आंसू भरे थे। इन तरह मना वह विवाह दिवसोत्सव।


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