अकबर ने दरबारियों की बुद्धि परखने के लिए एक चादर मँगाई, जो उनकी लम्बाई से छोटी थी। सभी से ऐसा प्रश्न पूछा जा रहा था कि बिना चादर को घटाये-बढ़ाये उसका शरीर कैसे ढँक जाय?
औरों ने उत्तर न बन पड़ा तो बीरबल ने कहा-हुजूर अपने पैर सिकोड़े, मजे में उसी चादर में तन ढँक कर सोये।”
बुद्धिमानी की बात सभी को पसन्द आई। साधनों को बढ़ाये बिना भी आवश्यकताएँ कम करके भी गुजर हो सकती है।