डैथ हिल्टन (Kahani)

December 1995

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आदमी को कितनी जमीन चाहिए? टालस्टाय अपनी एक विश्व विख्यात कहानी में उत्तर देते हैं-सिर्फ उतनी जितने में उसका मुर्दा दफनाया जा सके। यानी उतनी कोई तीन फीट चौड़ी और छः फीट लम्बी किन्तु मरे हुए आदमी का इतनी जमीन अनन्त काल तक रोके रखना अब समस्याएँ पैदा करने लगा है।

इंग्लैण्ड में अब बहुत से लोग अपने शव को दफनाये जाने के बजाय उसका जलाया जाना पसन्द करने लगे है। फिर भी वहाँ प्रतिवर्ष मृतकों को 200 एकड़ जमीन चाहिए। पुराने कब्रिस्तान भर गये है। पर पुरानी कब्रें बिना ग्रह मंत्रालय की विशेष अनुमति के तोड़ी नहीं जा सकतीं। उत्तरी लंदन के सेंट मेरी कैथोलिक कब्रिस्तान जैसे कुछ कब्रिस्तानों ने पुरानी कब्रों पर कई फीट ऊँची मिट्टी डलवा कर नयी जमीन बनवा ली है। मगर कितने ही कब्रिस्तानों में कब्रों की जमीन शाश्वत पट्टे पर बेची गई होती है। उन पर मिट्टी नहीं डाली जा सकती। आस्ट्रिया और स्विट्जरलैंड के कुछ कब्रिस्तानों ने यह समस्या यों हल की है, उनमें शव केवल 15 साल तक कब्र में रहता है फिर अस्थि शेष निकालकर निकट के समाधिगृह में रख दिये जाते है।

अमेरिका में टेनेसी राज्य के नैशविल नगर में सुप्रसिद्ध कब्र व्यापारी रे लिग्नान ने बीस मंजिल का एक समाधिग्रह बनाया है। जिसका नाम लोगों ने “ डैथ हिल्टन ” रख दिया है। इसमें आले बनाए गये है। लगभग दो लाख रुपये में कोई भी अपना शव वहाँ कयामत के दिन तक के लिए रखवा सकता है। सारे परिवार के लिए पाँच लाख रुपये में बड़ा आला मिलता है। अभी आला “बुक” करा कर किश्तों में भी पैसा भरा जा सकने की सुविधा है। मजाक में लोगों ने नारा बनाया है “अभी पैसा भरिये-जी चाहे तब मरिये” (क्कड्डब् ठ्ठशख् स्रद्बद्ग द्यड्डह्लद्गह्) 1 लाख 30 हजार लोगों ने अग्रिम बुकिंग करा ली है। पुराने ढंग के कब्रिस्तान में इतने मुर्दों को 192 एक सौ बानवे एकड़ जमीन चाहिए। पर डैथ हिल्टन में सिर्फ सात एकड़ में सब समा जायेंगे। इस प्रकार यह किफ़ायती मुर्दा घर है जो आज की परिस्थिति में सब प्रकार उपयुक्त है और किफ़ायती भी।


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