क्षेत्रीय स्तर पर लोग असमंजस में हैं कि किस स्तर के कार्यक्रम, अब हम करें। क्या आगामी एक वर्ष ऐसे ही क्षेत्र को खाली छोड़ दें? ऐसा नहीं है। इस योजना को पूरी तरह पढ़ें व समझें। केन्द्र से अनुयाज क्रम सम्पन्न करने के लिए अब वसन्तपर्व से श्रावणी तक ऐसे दल भेजे जा रहे हैं जो मात्र क्षेत्रीय पुनर्गठन का कार्य करेंगे। आँवलखेड़ा में हुए विचार-विमर्श के बाद अब क्षेत्रीय स्तर पर विगत अश्वमेध व इस पूर्णाहुति के अनुयाज क्रम को सम्पन्न करने हेतु केन्द्र अब जिन टोलियों को भेज रहा है, उनके लिए खर्चीले आयोजनों की आवश्यकता नहीं हैं। 5 दिवसीय इन आयोजनों में चार दिन तक सायंकाल प्रज्ञा-पुराण परिवार खण्ड की कथा एवं अंतिम दिन दीपयज्ञ की व्यवस्था की गयी है। सवेरे सामूहिक जप-ध्यान संस्कारादि एवं कार्यकर्ताओं से परामर्श के बाद दिन में क्षेत्र विशेष के कार्यकर्ताओं के साथ व्यूहरचना बनाकर अनुयाज को गतिशील बनाने का कार्य होगा। यह कार्यक्रम शक्तिपीठ स्तर के बड़े स्थानों पर अथवा जहाँ बहुत अधिक व्यवस्था न करनी पड़े, वहाँ दिये जाएँगे। इनके बारे में विस्तार से 1 व 15 दिसम्बर का पाक्षिक प्रज्ञा अभियान सभी पढ़ लें। शान्तिकुञ्ज से पत्राचार भी कर लें।