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April 1985

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मैं धुँधले तौर पर यह अनुभव करता हूँ कि जब मेरे चारों ओर सब कुछ बदल रहा है, मर रहा है, तब भी इन सब परिवर्तनों के नीचे एक जीवित शक्ति है, जो कभी नहीं बदलती, जो सबको एक में ग्रथित करके रखती है, उसका संहार करती है और फिर नये सिरे से पैदा करती है, यही शक्ति ईश्वर है, परमात्मा है। मैं मानता हूँ कि ईश्वर जीवन है, सत्य है, प्रकाश है, प्रेम है, वह परम मंगल है।

- महात्मा गाँधी

मृत व्यक्ति वापस नहीं लौटते, गत रजनी फिर नहीं आती, अतः मृत भूतकाल की पूजा छोड़ कर, आओ, सप्राण वर्तमान की पूजा करें। विलीन विनष्ट पथ के अनुसन्धान में शक्ति क्षय न करके, आओ, सुप्रशस्त नवीन मार्ग पर जो सामने है, चल पड़ें। इसी में बुद्धिमत्ता है।

-स्वामी विवेकानन्द

भगवान निराकार, सर्वव्यापी एवं जन्म-मरण से रहित हैं। विकृत परिस्थितियों को सन्तुलित करने के लिए उनकी प्रेरणा से तूफानी आन्दोलन उभरते रहते हैं। ये आन्दोलन ही अवतार कहलाते हैं। धर्मचक्र प्रवर्तन, महाभारत संयोजन, स्वतन्त्रता संग्राम की तरह प्रज्ञा अभियान भी एक ऐसा ही आन्दोलन है।

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