स्वप्नों में पूर्वाभास की सम्भावनाएँ

December 1984

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आमतौर से स्वप्न निरर्थक होते हैं। उनका कोई माने मतलब नहीं होता। बेसिलसिले की घटनाएँ दीख पड़ती हैं। उस समय वे ऐसी लगती हैं मानो यथार्थता देखी जा रही है। पर आँख खुलने पर पता चलता है कि रात को जो देखा गया था, वह निरर्थक था।

इतने पर भी कुछ स्वप्न ऐसे होते हैं जिन्हें सार्थक सकारण कहा जा सकता है उनका वास्तविकता के साथ घनिष्ठ सम्बन्ध होता है। पर यह नहीं समझा जा सकता है इनमें से कौन घटित हो चुका या घटित होने वाला है। इसकी एक मोटी कसौटी यह है कि जो स्वप्न मन में बेचैनी- उथल-पुथल पैदा करें, उनके साथ घटित होने की सम्भावना जुड़ी हो सकती है।

लन्दन में परामनोविज्ञान शोधकर्ता डा. जे. सी. वार्कर ने इस सम्बन्ध में गहरी दिलचस्पी ली है और स्वप्नों की सार्थकता से सम्बन्धित अनेकों घटनाक्रमों का संकलन किया है। इस प्रयोजन के लिए उन्होंने ब्रिटिश प्रिमोनीशन्स ब्यूरो नामक एक संस्था स्थापित की और उसकी शाखाएँ योरोप अमेरिका के प्रायः सभी प्रमुख देशों में स्थापित कीं। इनका काम था महत्वपूर्ण स्वप्नों का आकलन करें और यह पता लगाये कि उनमें सच्चाई से भी कुछ सम्बन्ध था क्या? इस संग्रह संकलन में दो तथ्य एकत्रित किये गये कि सार्थक स्वप्नों में से कितने भूतकाल से सम्बन्धित थे और कितनों में भविष्य की जानकारी थी। इसके अतिरिक्त एक नई शोध यह भी इस संकलन में एकत्रित की गई कि क्या कोई स्वप्नदर्शी अपनी शारीरिक, मानसिक रुग्णता की सम्भावना है यदि वह किसी व्यथा से ग्रसित है तो उसका निदान और चिकित्सा सम्बन्धी कुछ आभास प्राप्त कर सकता है?

21 अक्टूबर 1966 की एक घटना है कि ब्रिटेन के एवरफन गाँव में पहाड़ी पर स्थित कोल माइन्स के धसक जाने से उसके नीचे बना हुआ एक स्कूल पूरी तरह दब गया। वर्षा लगातार बहुत भयानक रूप से होती रही। इसलिए ऐसा उपाय न बन पड़ा कि स्कूल की इमारत खोदी जा सकती और उसमें दबे हुए 140 बच्चे निकाले जा सकते। वर्षा रुकी तब दबी हुई लाशें निकाली जा सकीं।

इस घटना की सूचना बच्चों के अभिभावकों को ही नहीं दूरस्थ सम्बन्धियों को भी स्वप्न के माध्यम से मिल गई थी। लाशें निकलने से पूर्व ही उन सभी को दुर्घटना सूचक स्वप्न दीख चुके थे।

न्यूयार्क के थामस कैसस नामक व्यक्ति ने स्वप्न देखा कि एक वायुयान दुर्घटनाग्रस्त हो रहा है उसका नम्बर 1290 है। तीन महीने बाद सचमुच ही वह दुर्घटना घटित हुई और उसमें 80 व्यक्ति मर गये।

अमेरिका के एक करोड़पति चार्ल्सलिण्डन वर्ग के बच्चे का डाकुओं ने अपहरण किया। वह कहाँ है उसका पता हार्वर्ड विश्व विद्यालय के दो स्वप्न विज्ञानी शोधकर्ताओं ने लगाने का प्रयत्न किया और वे यह बताने में समर्थ हुए कि लाश किस स्थिति में कहाँ पड़ी है?

सन् 1955 में ब्रिटिश वायु सेनाध्यक्ष विक्टर गोगार्ड ने स्वप्न देखा कि उनका छोटा वायुयान दुर्घटनाग्रस्त हुआ किन्तु उसके सातों सवार बचा लिए गए। स्वप्न की आधी बात इस प्रकार सच हुई कि संघाई से टोकियो जाता हुआ एक छोटा जहाज चौथे दिन दुर्घटनाग्रस्त हुआ पर सभी यात्री बच गये।

अंग्रेजों के हाथ टीपू सुल्तान की एक डायरी लगी जिसमें स्वप्न में मिले एक आदेश का वर्णन था कि वह आक्रमण का चक्रव्यूह इस तरह बनाए। उसने उसी योजना के अनुसार सफल आक्रमण किया था।

मार्टी नीम्यू निवासी प्राउण्ट वेली को एक विस्फोट की पूर्व सूचना मिली थी। उसने उसकी जानकारी लोगों को भी दुर्घटना के पूर्व दे दी थी। उस दुर्घटना में 4000 व्यक्ति मारे गये थे। फ्री वर्ग विश्व विद्यालय के परा मनोविज्ञानी डा. हेन्स वेन्डर को द्वितीय विश्वयुद्ध में घटित होने वाले घटनाक्रम का पूर्वाभास हुआ था वे घटनाएँ ठीक उसी क्रम में घटित हुईं। एक फिल्म अभिनेत्री क्रिस्टराइन मीलियस ने अपने 200 स्वप्नों का विवरण भेजा जो उसके निजी जीवन से तथा अन्यान्यों से सम्बन्धित थे उनमें से प्रायः आधे स्वप्न सत्य हुए।

‘गेस्टाल्ट साइकोलाजी’ ग्रन्थ में मानसिक संरचना और उनमें स्वप्नों की भूमिका के सम्बन्ध में विस्तृत विज्ञान पर प्रकाश डाला है और लिखा है कि सच होने वाले स्वप्न उत्तेजना भरे होते हैं और सामान्य स्वप्न ऐसे ही हँसी मजाक जैसे निरर्थक लगते हैं। उस ग्रन्थ में इस पर भी प्रकाश डाला है कि शरीर अपनी वर्तमान तथा भावी बीमारियों सम्बन्धी विवरण भी प्रकट करता है और कभी-कभी स्वयं ही आभास होता है कि निवारण के लिए क्या उपचार करना चाहिए।

अचेतन मन की कितनी ही परतों का ‘गेस्टाल्ट थ्योरी’ में विवेचन है। स्वप्न किस परत से उठ रहे हैं इसका पता सर्वसाधारण को अनायास ही नहीं लगता पर अभ्यास से उस जानकारी का पता लग सकता है।

सेन्ट विल्सन अस्पताल (यू. के.) के डा. ग्लैडिका को मरणासन्न रोगियों में बहुत दिलचस्पी रही है। वे उनके वार्तालाप करके इस सम्भावना का पता लगाते रहे हैं कि किस रोगी की मृत्यु का समय कब हो सकता है। वे लिखते हैं कि अधिकाँश रोगी सूर्योदय से पूर्व प्रभात काल में अथवा रात्रि को जब गहरी नींद सोने का समय होता है, तब मरते हैं। उनने ऐसे भी कुछ रोगियों का वर्णन किया है जो पहली जाँच पड़ताल में मृतक घोषित कर दिए गए थे पर वस्तुतः उनका मस्तिष्क गहरी निद्रा में चला गया था। वह नींद जैसे ही हटी वे जीवित हो उठे।

“दि बुक ऑफ ड्रीम्स” में ऐसे कितने ही रोगियों का विवरण है जो डॉक्टरों की राय के विपरीत अपने रोग का नाम और कारण भिन्न बताते रहे। गहरी जाँच पड़ताल करने, निद्रा की स्थिति में ले जाने पर रोगी का कथन सही निकला। इसी प्रकार चिकित्सा के परामर्श में डॉक्टर जो दवा दे रहे थे उसकी अपेक्षा रोगी की सलाह लेकर जो परिवर्तन किया गया वह ठीक निकला और उस आधार पर मरीज अच्छा हो गया।

यहूदी कथा पुराणों में ऐसे विवरण भी मिलते हैं जिनमें स्वप्नों के माध्यम से किन्हीं व्यक्तियों को अपने पूर्व जन्मों का विवरण ज्ञात हुआ है और जाँच पड़ताल करने पर ऐसे प्रमाण मिले हैं जिससे यह जाना जा सका कि वह व्यक्ति पूर्व जन्म में वही था जिसकी कि स्वप्न में जानकारी मिली थी।

हिन्दू कथा पुराणों में भी ऐसी कई घटनाओं का उल्लेख है जिसमें भविष्य की ऐसी सम्भावनाओं का वर्णन है जिनके सही होने की उस समय कोई सम्भावना नहीं थी। पर समय बीतने पर अचानक परिस्थितियाँ बदली और वैसी सम्भावनाएँ बन पड़ीं जिसकी इससे पूर्व किसी को आशा नहीं थी।

कइयों ने अच्छी खासी स्थिति में बिना किसी भयंकर बीमारी के अपने मरण का समय बताया और वह समय आने से पूर्व ही ऐसी व्यवस्थाएँ बना दीं मानों वे सचमुच ही मरने जा रहे हों। समय आया और उनका कथन सही सिद्ध हुआ। इसी प्रकार कई लोगों की स्वप्न के आधार पर दूसरों के सम्बन्ध में की हुई भविष्यवाणियाँ सही सिद्ध हुई हैं। लोगों ने उन कथनों का आश्चर्य इसलिए माना है कि इससे पहले ऐसी कोई सम्भावना या आशंका नहीं थी जैसी कि देखे गये स्वप्न के आधार पर प्रकट की गई थी।

कदाचित् कभी किसी के स्वप्न अनायास भी सही सिद्ध होते हैं पर वस्तुतः यह मनोयोग की एक विद्या है जिसके आधार पर भविष्य की सम्भावनाओं को जानने का अभ्यास किया जा सकता है।

इसका अर्थ यह नहीं समझा जाना चाहिए कि सभी स्वप्न सार्थक ही होते हैं। अनेकों व्यक्तियों के अनगढ़ स्वप्न आमतौर से निरर्थक ही होते हैं। उनका कोई महत्व नहीं होता। फिर भी इनसे अचेतन की गहन परतों की एक जानकारी तो मिलती है।


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