चाहे संसार भर के उपदेशकों के प्रवचन सुनें, चाहे ईश्वर ही आपको धर्मज्ञान सुनायें। पर तब तक उनसे कुछ भी लाभ न होगा जब तक कि आप अपने आपको सन्मार्ग पर चलने की स्वयं प्रेरणा न दें।