वह ज्ञानी जो किसी की पीड़ा पर रो न सके, जो प्रसन्नता की घड़ी में भी हँस न सके, जो इतना आत्मकेन्द्रित हो कि दूसरों की चिन्ता न करता हो, वह अज्ञानी से भी बढ़कर है।