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December 1984

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वह ज्ञानी जो किसी की पीड़ा पर रो न सके, जो प्रसन्नता की घड़ी में भी हँस न सके, जो इतना आत्मकेन्द्रित हो कि दूसरों की चिन्ता न करता हो, वह अज्ञानी से भी बढ़कर है।


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