प्रकाश का अभाव (kahani)

December 1984

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एक जिज्ञासु किसी दार्शनिक के पास गया और मृत्यु के सम्बन्ध में अनेकों प्रश्न पूछने लगा।

दार्शनिक ने उत्तर दिया- “कुछ काम की बात पूछो मृत्यु नाम की वस्तु इस संसार में नहीं है। मात्र परिवर्तन और प्रगति का क्रम ही यहाँ चलता है। आज की वस्तु का स्वरूप कल बदल जाता है। इसी को मृत्यु कहना चाहो तो कहो।”

बात को और अधिक आगे बढ़ाते हुए कहा- “प्रकाश के अभाव का नाम ही अन्धकार है। उसका अलग से कोई अस्तित्व नहीं। जीवन का चले जाना ही मृत्यु है। पूछना हो तो जीवन के बारे में पूछो।”


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